Blood Donation Day Special: 40 साल की उम्र में 50 बार रक्तदान कर चुके हैं जैसलमेर के भीम सिंह, रेयर 'ओ निगेटिव' है ब्लड ग्रुप

भीम सिंह पंवार ने कई बार इमरजेंसी के मरीजों को रक्त दिया, जिन मरीज की जान को खतरा था और उन्होंने रक्त देकर बचाने के प्रयास किए.

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Blood Donation Day Special: रक्तदान को महादान कहा गया है. आपका खून किसी का जीवन बचा सकता है. रक्तदान किसी की मदद का सबसे नायाब तरीका है. आप अपने लहू का दान कर किसी की जिंदगी बचाते हैं. रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियां दूर करते हुए इसे जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर साल 14 जून को रक्तदान दिवस मनाया जाता है. आज रक्तदान दिवस पर देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसी बीच आज हम ऐसे ही एक शख्स की कहानी लेकर आए है, जिन्होंने 40 साल की उम्र में 50 बार रक्तदान किया है. 

यह कहानी है जैसलमेर के भीम सिंह की. जिन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि रक्त की कमी से किसी की मौत न हो. 18 साल की उम्र से रक्तदान कर लोगों की जिंदगी बचाने की जिद के चलते उस शख्स ने प्रत्येक साल में 4 बार रक्तदान का लक्ष्य बना लिया. 

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रक्तदान के लिए जैसलमेर के भीम सिंह को कई बार सम्मानित किया जा चुका है.


जैसलमेर के भीम सिंह हर साल चार बार रक्तदान करते हैं. 18 साल की उम्र में शुरू हुआ सिलसिला अब तक जारी है. भीम ने अब तक 50 बार रक्तदान कर लिया और 101 बार रक्तदान करना चाहते हैं. भीम को कई जिला स्तरीय कार्यक्रमों में पुरस्कृत भी किया जा चुका है.

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ब्लड बैंक में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सा कर्मी कैलाश बताते है कि जब भी जरूर होती है भीम सिंह तुरंत ब्लड देने पहुँच जाते है, अब तक वो 50 यूनिट रक्त डोनेट कर चुके है और एक बार तो 13 दिन की बच्ची को रक्तदान कर जान बचाई.

सबसे खास बात तो यह है कि भीमसिंह का ब्लड ग्रुप "ओ निगेटिव" है. भीमसिंह ने 18 साल की आयु में ही रक्तदान करना शुरू कर दिया था. 1999 में एक सड़क दुर्घटना में पूर्व महारावल बृजराज सिंह घायल हो गए थे. उस समय ओ निगेटिव ब्लड की आवश्यकता थी, लेकिन ब्लड भी ऐसे युवा का चाहिए था जिसकी आयु 18 वर्ष तक हो और किसी प्रकार का नशा नहीं करता हो. तब उन्हें लोगों ने रक्तदान के लिए प्रेरित किया. उन्होंने एक बार में ही रक्तदान करने की हामी भर दी. फिर यह सिलसिला अब तक जारी है.

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NDTV से बातचीत में भीम सिंह पंवार ने अपनी जर्नी बताई.

भीम सिंह पंवार ने कई बार इमरजेंसी के मरीजों को रक्त दिया, जिन मरीज की जान को खतरा था और उन्होंने रक्त देकर बचाने के प्रयास किए. ऐसा ही एक किस्सा है जब 13 दिन की बच्ची को रक्त की आवश्यकता थी, भीम को अस्पताल से बुलाया गया. बच्ची के शरीर में रक्त की बहुत कमी थी और उसकी जान को खतरा था. ऐसे में भीम ने तुरंत अस्पताल पहुंचकर मासूम बच्ची के लिए रक्तदान किया. थैलेसीमिया से ग्रस्ति बच्चियों व गर्भवती महिलाओं को भी उनके द्वारा ओ निगेटिव ब्लड उपलब्ध करवाया है.

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