Kirodi Lal Meena Letter to CM Bhajan Lal Sharma: राजस्थान सरकार राजधानी जयपुर के गांधीनगर इलाके में पीपीपी मोड पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण कराने जा रही है. लेकिन इस प्रोजेक्ट पर सरकार में शामिल लोग ही सवाल उठाना शुरू कर चुके हैं. राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर राजधानी जयपुर के गांधीनगर इलाके में बनने जा रही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किए हैं. चिट्ठी लिखने के बाद मंत्री मीणा ने मीडिया से बात करते हुए भी इस प्रोजेक्ट की खामियां बताई और यह भी बताया कि इस प्रोजेक्ट से कैसे सरकार को 1146 करोड़ रुपए का घाटा होगा. आइए जानते हैं क्या है यह प्रोजेक्ट.
गांधीनगर के एमआरसी कैंपस और राजकीय कॉलोनी में होगा निर्माण
दरअसल राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में मीणा ने जयपुर के गांधीनगर स्थित ओल्ड एमआरसी कैंपस और गाँधीनगर में स्थित राजकीय कॉलोनी के पुनर्विकास योजना के नाम पर पीपीपी मॉडल पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाने के प्रोजेक्ट में 1146 करोड़ रुपए की हेरा फेरी होने की आशंका जताई है. किरोड़ी लाल मीणा ने इस प्रोजेक्ट में कुछ अफसर पर Real Estate Development & Construction Corporation of Rajasthan Limited (REDCC) से मिलीभगत से काली कमाई करने का आरोप लगाते हुए CM के नाम एक पत्र लिखा है.
ओलपिंक खिलाड़ी और जज के घर को तोड़कर बनाए जाएंगे 6 टावर
किरोड़ी लाल मीणा ने पत्र में लिखा है कि यह योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में NBCC और REDCC के माध्यम से व स्वघोषित आधार पर बनाई जा रही है. इस में कुल 6 टावर बनाए जाएंगे. जिसमें से दो टावर निजी व्यक्तियों को बेचा जाएगा. मीणा ने कहा इस योजना में ना कोई रोड मैप है, और ना ही पर्यावरण और मोर जैसे पशु-पक्षियों का ध्यान रखा गया है. वर्तमान में इन सरकारी आवास में तीन ओलंपिक खिलाड़ी भी रहते हैं जो कि ओलंपिक खेलों के लिए बाहर गए हुए हैं. ये ओलंपिक जून जुलाई में आयोजित होने हैं. इसके चलते इन खिलाड़ियों के खेल पर भी असर पड़ सकता है. यहां हाईकोर्ट के न्यायाधिपति का निवास है. यह वीआईपी सड़क के पास बनाई जा रही है.
कैबिनेट और सीएम से अनुमोदन के बिना बना प्रोजेक्ट
कृषि मंत्री मीणा ने वित्त विभाग द्वारा इस योजना के संबंध में नियमों में शिथिलता देने और REDC के एग्रो अकाउंट में पैसा जमा करने से साफ मना करने के बावजूद भी इस योजना को लागू करने जा रही है जो संदेहास्पद लगती हैं. यह योजना ना तो वर्तमान वित्त मंत्री, ना ही कैबिनेट और ना ही मुख्यमंत्री से अनुमोदित करवाई गई है. आचार संहिता के दौरान इस प्रकार से नोटिस देना आउट ऑफ़ टर्न मकान आवंटित करना एवं नई योजना का क्रियान्वन करना किसी भी रूप से उचित प्रतीत नहीं होता है.
5 साल पहले 277 करोड़ की लागत, अब घटकर 218 करोड़ बताई जा रही
इस मास्टर प्लान में यहां 18 से 19 मंजिला बिल्डिंग बनाने का प्रावधान ही नहीं है. यहां व्यावसायिक उपयोग की अनुमति भी नहीं है. योजना की लागत 5 साल पहले 277 करोड़ आंकी गई, लेकिन अब 218 करोड़ रुपए ही रह गई. इस योजना में निजी व्यक्तियों को 23307.25 वर्ग मीटर बेची जाती है, तो इसकी कीमत 192 करोड़ होगी, जबकि इसका मार्केट रेट 627. 21 करोड़ की होगी इसका अर्थ है कि 409 करोड रुपए का मुनाफा REDCC को होगा.
अधिकारियों से सांठ-गांठ कर काली कमाई की तैयारी
परंतु योजना में 85 करोड़ का घाटा दर्शाया गया है जो कि दो टावर के अतिरिक्त सरकारी आवास हेतु उपलब्ध कर 4 टावरों में से 25 अतिरिक्त फ्लैट बेचकर प्राप्त किया जाएगा. REDCC का मुख्य उद्देश्य 218 करोड रुपए खर्च कर 1364 करोड रुपए का आय प्राप्त करना है. इस प्रकार कुछ अधिकारियों से साथ सांठ-गांठ करके करोड़ों रुपए की काली कमाई करने जा रहे हैं. इसके चलते सरकार को तकरीबन 1146 करोड रुपए का नुकसान होगा. किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से इस पूरे प्रकरण की वित्तीय जांच एवं योजना के विभिन्न बिंदुओं की जांच करवा कर इस योजना को लागू करवाने की मांग की है.
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