Maha Shivratri 2025: राजस्थान के प्रतापगढ़ में बुलबुला महादेव का मंदिर है, जहां महादेव आपकी मुरादों का फैसला बुलबुलों से करते हैं. इस मंदिर की आस्था ऐसी है कि दूर दराज से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां मन्नत मांगने के लिए पहुंचते हैं. मंदिर के चारो तरफ पानी भरा रहता है. आधा शिवलिंग सालभर पानी में डूबा रहता है. महाशिवरात्रि पर यहां हवन और अभिषेक होते हैं.
पानी में सिक्का डालकर महादेव से मांगते हैं मुराद
यह मंदिर प्रतापगढ़ जिले के छोटीसादड़ी से करीब 18 किलोमीटर दूर पीलीखेड़ा ग्राम पंचायत में है. बुलबुला महादेव मंदिर में भरे पानी में बुलबुले उठते हैं, कहते हैं कि यहां बुलबुले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करते हैं. श्रद्धालु यहां पानी में सिक्का डालकर अपने मन की मुराद महादेव से मांगते हैं. महादेव भी बुलबुल से उनकी मन्नत पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं. इसी वजह से इन्हें बुलबुला महादेव के नाम से जाना जाता है. साल में एक बार यहां वैशाखी पूर्णिमा पर मेला लगता है. दूर-दरार से लोग आकर बुलबुला महादेव में अपनी मनोकामना पू्र्ण होने की कामना करते हैं. कामना पूरी होगी या नहीं यह पानी से उठने वाले बुलबुले पर निर्भर करता है.
कुंड का पानी पीकर श्रद्धालु प्यास बुझाते हैं
बुलबुला महादेव के शिवलिंग के पास साल भर इतना पानी आता है कि पानी की निकासी नहीं हो पाती है. मंदिर से पानी को निकालने के लिए अलग से वाटर पंप सेट लगा रखा है, यहां से निकलने वाले पानी से बागवानी की जाती है. मंदिर के बाहर तीन अलग-अलग पानी के कुंड बने हुए हैं, जिनमें से प्रथम कुंड से आने वाले श्रद्धालु पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं.
मन्नत पूरी होने पर पानी से उठते हैं बुलबुले
दूसरे कुंड से श्रद्धालु मंदिर में जाने से पहले मुंह, हाथ और पैर धोते हैं. सबसे अंतिम तीसरे कुंड में दर्शनार्थी नहाते हैं. श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि यहां भोलेनाथ हर श्रद्धालु के पूछे सवालों का जवाब बुलबुले के रूप में देते हैं. मन्नत मांगने के बाद शिवलिंग के पास कुंड से बुलबुले उठते हैं, तो मन्नत पूरी होती है. बड़ी संख्या में लोग यहां बोरिंग करवाने से पहले उस स्थान की मिट्टी लेकर के यहां पहुंचते हैं, और पानी में मिट्टी डालकर महादेव से बोरिंग में पानी की अच्छी आवक की मनोकामना करते हैं, महादेव भी बुलबुला उठाकर उनकी मन्नत पूरी होने का आशीर्वाद देते है. इसके बाद श्रद्धालु इस कुंड का पानी ले जाकर बोरिंग वाले स्थान पर डालते हैं, और बोरिंग में अच्छा पानी आने पर सबसे पहले उस पानी से यहां आकर महादेव का अभिषेक करते हैं.
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