राजस्थान में किसानों ने दी कोटा बैराज के गेट खोलने की चेतावनी, कहा- होगी आरपार की लड़ाई

किसान 2 जुलाई को लालसोट मेगा हाइवे स्थित गणेश मंदिर पर एकत्रित होंगे. विभिन्न गांव के किसान ट्रैक्टरों के साथ कोटा बैराज कूच कर नहरों के दरवाजे खोलेंगे. 

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Rajasthan News: राजस्थान स्थित बूंदी जिले के किसान एक बार फिर नहर की पानी की मांग को लेकर आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. एक जुलाई से नहरों में पानी छोड़ने की मांग को लेकर किसानों ने आंदोलन की रणनीति तेज कर दी है. किसानों ने संभागीय आयुक्त पर धरना देकर एक जुलाई से नहरों में पानी छोड़ने की मांग को लेकर मांग पत्र सौंपा था, लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया. अब कल 2 जुलाई को किसान लालसोट मेगा हाइवे स्थित गणेश मंदिर पर एकत्रित होंगे. विभिन्न गांव के किसान ट्रैक्टरों के साथ कोटा बैराज कूच कर नहरों के दरवाजे खोलेंगे. 

आंदोलन को लेकर किसानों की एक बैठक गणेश मंदिर में आयोजित हुई. जहां पर विभिन्न गांव के किसान मौजूद रहे जहां कर उसे समिति से कोटा बैराज में गेट खोलने का फैसला लिया गया. किसानों का आरोप है कि सीएडी प्रशासन ने कोटा बैराज में 10 हजार क्यूसेक से ज्यादा पानी व्यर्थ बहा दिया, लेकिन नहरों में पानी नहीं छोड़ा. प्रशासन अगर पानी छोड़ देता तो शायद यह किसानों के काम आ जाता. लेकिन सीएडी प्रशासन सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहा है और किसानों को पानी नहीं दे रहा तो अब हम आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार है.

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आश्वासन के बाद भी 1 जुलाई को पानी नहीं छोड़ा गया

शुगर मिल संयुक्त किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष गिरिराज गौतम ने बताया कि नहरों में जलप्रवाह शुरू करवाने के लिए आंदोलन तेज कर दिया है. हमने दो माह पूर्व ही मांग की थी कि 1 जुलाई से केशोरायपाटन क्षेत्र में खरीफ की फसल के लिए नहर का पानी छोड़ा जाए. विभाग ने हमें आश्वासन भी दिया था. लेकिन 1 जुलाई होने जाने के बावजूद भी पानी नहीं छोड़ा गया. जिसके चलते किसानों में आक्रोश है. जिले में मानसून की एंट्री होने के साथ ही खेतों में फसल की तैयारी में जुट गए हैं. मानसून की बारिश भी अभी तक नहीं हुई है. उन्हें पहले पानी की आवश्यकता है. लेकिन विभाग पानी को नहरों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में हमारी फसल खराब होने का अंदेशा है. सरकार किसानों की बात करती है लेकिन सीएडी प्रशासन किसानों की मांगे नहीं मानकर सरकार को बदनाम कर रहा है. 

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10 दिन पूर्व कोटा बैराज से छोड़ा गया था पानी

मध्य प्रदेश में लगातार बारिश होने के चलते चंबल नदी में पानी का स्तर बढ़ रहा है, इसी को देखते हुए हाड़ौती के सबसे बड़े बांध कोटा बैराज से दो दरवाजा को खोलकर 10000 क्यूसेक सबसे अधिक पानी की निकासी की गई थी. इस पानी की निकासी से किसान नाराज हैं, किसानों का कहना है कि उस पानी को सीएडी प्रशासन ने व्यर्थ बहा दिया. जबकि उस पानी का उपयोग हो सकता था व्यर्थ बहने की बजाय व किसानों को नहर में पानी की उपयोग में दिया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और पानी व्यर्थ बह गया. जबकि खरीफ की फसल का सीजन शुरू हो चुका है इस सीजन में पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है. जबकि किसान मानसून पर डिपेंड रहते हैं. लेकिन मानसून को एक सप्ताह हो गया लेकिन अभी तक पानी नहीं आया है. 

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किसान बोले" आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार 

बूंदी जिले में नहरी पानी की मांग का मामला पहला नहीं है. इससे पहले भी कई बार किसान अनशन, धरना, प्रदर्शन कर चुके हैं हर वर्ष सीएडी प्रशासन के खिलाफ किसान लामबंद होते हैं. इस बार भी सीजन शुरू होते ही किसानों ने संभागीय आयुक्त प्रशासन को चेतावनी दे दी है. किसान गिरिराज गौतम ने कहा कि किसान नहर के पानी को लेकर आरपार की लड़ाई के मूड में है. प्रशासन जैसे चाहे वैसे किसानों से निपट सकता है. किसानों ने कोटा बैराज में आंदोलन की चेतावनी दी है तो किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ लालसोट मेगा हाईवे से कोटा बैराज पहुंचकर रहेगा चाहे उसे अपनी जान तक क्यों ना गंवानी पड़े. उधर किसानों द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद बूंदी जिला पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है किसानों से वार्ता की जा रही है. 

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