बूंदी के संस्थापक बूंदा मीणा या राव हाड़ा? स्मारक को लेकर राजपूत और मीणा समुदाय आमने-सामने

बूंदी में सरकार ने बूंदा मीणा के स्मारक को लेकर 8 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है. जल्दी ही शहर के किसी चौराहे पर बूंदा मीणा का स्मारक बनाया जाएगा. इसे लेकर बूंदी के राजपूत समाज के लोग विरोध कर रहे हैं.

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कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते राजपूत समुदाय के लोग.

बूंदी शहर की स्थापना किसने की थी? इसे लेकर हमेशा विवाद रहा है. राजपूतों का कहना है कि बूंदी की स्थापना राव देवा हाड़ा ने की थी. लेकिन मीणा समुदाय का मानना है कि बूंदी की स्थापना बूंदा मीणा ने की थी. अब सरकार बूंदी के संस्थापक के तौर पर शहर में बूंदा मीणा का स्मारक बना रही है. जिसका राजपूत समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं. इसे लेकर आज बड़ी संख्या में राजपूत समुदाय ने बूंदी जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. राजपूतों की मांग है कि बूंदी के संस्थापक राव हाड़ा थे, इसलिए शहर में उनका स्मारक बनना चाहिए. समुदाय ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि 10 दिनों के भीतर स्मारक को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ तो राजपूत समाज बड़ा आंदोलन करेगा.

समुदाय कहना है कि, सरकार बूंदा मीणा का स्मारक बनाकर इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रही है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बूंदी में जल्द राव देवा हाडा का स्मारक बनाया जाए. पिछले 2 सालों से यह दोनों ही समाज इसको लेकर आमने-सामने हैं . ऐसे में अब आगामी चुनाव में कहीं ना कहीं बूंदी में यह बड़ा मुद्दा बनता हुआ नज़र आ रहा है. 

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राजपूत संगठन से जुड़े बलराज सिंह ने बताया कि 1200 ईस्वी में बूंदी रियासत की स्थापना राव देवा हाड़ा ने की थी, यह इतिहास में दर्ज है. लेकिन पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने अपने आख़िरी बजट में बूंदी का संस्थापक बूंदा मीणा को बताते हुए स्मारक बनाने की घोषणा की और अब गहलोत सरकार ने इसे बनाने के लिए बजट भी जारी कर दिया.

स्मारक बनाने के लिए 8 करोड़ का बजट जारी 

सरकार चले जाने के बाद स्मारक को लेकर कोई हलचल नहीं हुई. लेकिन वर्तमान की गहलोत सरकार ने स्मारक को लेकर 8 करोड रुपए का बजट जारी किया है जल्दी उस बजट के तहत किसी न किसी चौराहे पर बूंदा मीणा का स्मारक बनाया जाएगा जो की बूंदी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ होगी. हमारी मांग है कि सरकार जल्द बूंदी के किसी भी चौराहे पर राव देवा हाडा की स्थापना कर वहां पर स्मारक बनाएं ताकि बूंदी संस्थापक राव देव हाडा के इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो सके.

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