Bundi health department seized clinics: बूंदी जिले में स्वास्थ्य विभाग ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई ने हड़कंप मचा दिया. मेडिकल स्टोर और परचून की दुकानों की आड़ में अवैध क्लिनिक चलाने वालों पर शिकंजा कसते हुए विभाग ने आमजन को बड़ी राहत दी है. इस अभियान के तहत जिलेभर में 100 से अधिक झोलाछाप क्लिनिकों को सीज कर दिया गया. कार्रवाई की भनक लगते ही कई झोलाछाप मौके से फरार हो गए, जबकि कुछ क्लिनिक बंद कर ताले लगाकर भाग निकले. विभाग के मुताबिक, झोलाछाप गलत दवाइयां और गलत इलाज देकर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे थे. कई मरीजों की हालत गंभीर होने पर उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर करना पड़ता था. इन नकली डॉक्टरों के कारण ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में मरीजों की जान को बड़ा खतरा बना हुआ था.
5 ब्लॉक में कई ठिकानों पर दी दबिश
ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एलपी नागर ने बताया कि राज्य स्तर से मिले निर्देशों और जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा के आदेश पर यह अभियान चलाया गया. सीएमएचओ डॉ. ओपी सामर के नेतृत्व में जिले के बूंदी, तालेड़ा, नैनवा, हिंडोली, केशवरायपाटन और लाखेरी समेत सभी 5 ब्लॉक में एक साथ कार्रवाई की गई.
अधिकारी अलग-अलग स्थानों पर पहुंचे और झोलाछापों के ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें सीज किया. स्वास्थ्य विभाग ने जनता से अपील की है कि किसी भी नकली डॉक्टर या संदिग्ध क्लिनिक की जानकारी तुरंत विभाग को दें, ताकि उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जा सके.
जानिए क्या है क्लिनिक चलाने के नियम
नियमों के अनुसार, केवल वही व्यक्ति क्लिनिक या डिस्पेंसरी चला सकता है, जिसके पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एमबीबीएस या उसके समकक्ष डिग्री हो. साथ ही संबंधित व्यक्ति मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया या संबंधित राज्य मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत हो.
इसके अलावा, आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी पद्धति के चिकित्सक केवल अपनी-अपनी चिकित्सा पद्धति के अनुसार ही इलाज करने के पात्र हैं. अगर कोई व्यक्ति बिना उचित डिग्री या पंजीकरण के क्लिनिक चलाता है, तो यह कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है.
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