Camel Milk: ऊंटनी का दूध बना सुपरफूड! राजस्थान में खुला ऐसा क्लब, जहां लाइन में लग रहे लोग!

Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले के लोगों के लिए ऊंटनी का दूध वरदान साबित हो रहा है. इससे उन्हें सेहत का खजाना तो मिल ही रहा है, साथ ही वे इसे बेहतर आमदनी का जरिया भी बना रहे हैं.

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ऊंटनी का दूध

Camel Milk Benefits: रेगिस्तान की तपती रेत के बीच, पश्चिमी राजस्थान का बाड़मेर जिला स्वास्थ्य की एक नई क्रांति का गवाह बन रहा है. यहां लोग अब महंगी दवाइयों और इंसुलिन इंजेक्शनों को छोड़कर ऊंटनी के दूध को अपना रहे हैं. स्थानीय युवाओं और बुजुर्गों ने मिलकर एक 'ऊंटनी मिल्क क्लब' बनाया है, जहां यह दूध मधुमेह, ब्लड प्रेशर और हड्डियों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए एक सस्ता और प्राकृतिक विकल्प बन रहा है. इसके चमत्कारी परिणाम लोगों की जिंदगियां बदल रहे हैं.

प्राकृतिक औषधि का खजाना है ऊंटनी का दूध

आयुर्वेद चिकित्सक पंकज विश्नोई बताते हैं कि ऊंटनी के दूध में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों का भंडार होता है, जो इसे एक शक्तिशाली औषधि बनाता है. यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है. आयुर्वेद में इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए होता है, जिसकी पुष्टि अब आधुनिक शोध भी कर रहे हैं.

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बाड़मेर में बदल रही जिंदगियां

बाड़मेर के गेहूं रोड निवासी जेठाराम देवासी के घर सुबह 6 बजे से ही लोगों की भीड़ जुटने लगती है. जेठाराम अपनी 150 ऊंटनियों का दूध निकालते हैं, और लोग इसे ताजा पीकर अपनी बीमारियों से राहत पा रहे हैं. स्थानीय निवासी रावताराम प्रजापत, जो लंबे समय से मधुमेह से पीड़ित थे, वे "पिछले दो महीनों से ऊंटनी का दूध पी रहा हैं. उनकी डायबिटीज कंट्रोल में है, और उन्हें दवाइयों की जरूरत भी कम हो गई है."

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इसी तरह, पीराराम ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "मेरे घुटनों में तेज दर्द रहता था, और दवाइयां चल रही थीं. डेढ़ साल से ऊंटनी का दूध पी रहा हूं, और अब दर्द में 90% राहत है. मेरी डायबिटीज की दवाइयां भी बंद हो गई हैं."

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दूघ पीने के लिए कतार में बैठे लोग
Photo Credit: NDTV

मोहनलाल गर्ग की कहानी और भी रोचक है. वे बताते हैं, "ढाई साल पहले मैंने ऊंटनी का दूध पीना शुरू किया. पहले मुझे चश्मा लगता था, लेकिन अब मेरी नजर सुधर गई है, और मैं खुद को पहले से भी कहीं ज्यादा तंदुरुस्त महसूस करता हूं."

जगदीश देवासी, जिनकी मधुमेह की स्थिति गंभीर थी और ब्लड शुगर 250 तक पहुंच गया था, कहते हैं, "अहमदाबाद से महंगी दवाइयां ले रहा था, लेकिन पिछले एक साल से ऊंटनी का दूध पी रहा हूं. अब मेरी शुगर कंट्रोल में है, और दवाइयां बंद हो गई हैं."

जेठाराम का प्रयास: एक नई शुरुआत

तीन साल पहले ऊंट का दूध उपलब्ध कराने वाले जेठाराम देवासी बताते हैं कि शुरुआत में सिर्फ 2-3 लोग ही दूध पीने आते थे. लेकिन जैसे-जैसे लोगों को लाभ मिलने लगा, अब रोजाना 30-35 लोग मेरे पास आते हैं. उनके प्रयासों से न सिर्फ स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य लाभ हुआ है, बल्कि ऊंट पालन को भी बढ़ावा मिला है. जेठाराम कहते हैं, "लोगों को लाभ मिल रहा है, और मुझे यह देखकर खुशी हो रही है."

ऊंटनी के दूध में पाए जाते हैं कई पोषक तत्व

ऊंटनी के दूध में लैक्टोफेरिन, इम्यूनोग्लोबुलिन और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो इसे सूजनरोधी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला बनाते हैं. यह दूध कैल्शियम और विटामिन डी का भी अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों को मज़बूत बनाता है.आयुर्वेदिक चिकित्सक पंकज विश्नोई सलाह देते हैं, "हर व्यक्ति को अपनी पाचन शक्ति के अनुसार इस दूध का सेवन करना चाहिए. इसे नियमित आहार में शामिल करने से कई बीमारियों से राहत मिल सकती है."

रेगिस्तान की शान ऊंट
Photo Credit: NDTV

चुनौतियां और भविष्य की राहत

ऊंट का दूध भले ही लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा हो, लेकिन इसके उत्पादन और वितरण में कई चुनौतियां हैं. ऊंट पालन एक पारंपरिक व्यवसाय है, जो अब आधुनिकता की चपेट में आकर कम होता जा रहा है. सरकार ऊंट पालन और ऊंट के दूध के प्रसंस्करण के लिए सब्सिडी दे रही है, लेकिन युवा पीढ़ी इस व्यवसाय से दूरी बना रही है, इसलिए धीरे-धीरे ऊंटों की संख्या भी कम होती जा रही है. इसके अलावा, इस दूध को बोतलों में भरकर बड़े पैमाने पर बाजार में उपलब्ध कराने की ज़रूरत है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें.

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