Rajasthan News: राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील के केड़ली गांव में सरकारी स्कूल में हुई तीन छात्राओं की मौत के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. शुक्रवार रात आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल, मृतक छात्राओं के परिजनों और प्रशासन के बीच सहमति बन गई है. सौहार्दपूर्ण माहौल में सुलह हुई, और प्रशासन ने मृतक परिवारों की मांगों को स्वीकार कर लिया है. प्रशासन की ओर से मृतक छात्राओं के परिवारों को राहत दी गई है. इसके बाद रात को ही तीनों शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया. साथ ही, मृतक परिवारों को आर्थिक और सामाजिक सहायता देने की भी घोषणा हुई है.
इन 5 मांगों पर बनी सहमति
प्रशासन ने पीड़ित परिवारों के एक-एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देने का फैसला किया है. साथ ही हर परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इसके अलावा स्कूल में 50 लाख से 1 करोड़ की लागत से लाइब्रेरी और कमरे का निर्माण, दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किये जाने, बीडीओ और सीबीआई का सस्पेंशन और जर्जर स्कूल बिल्डिंगों की मरम्मत के लिए विशेष अभियान चलाने पर भी सहमति बन गई है. जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि और एसपी कावेन्द्र सिंह सागर ने पूरे मामले में संवेदनशीलता दिखाई है. कलेक्टर का कहना है कि प्रशासन और सरकार शुरू से ही बच्चियों के मामले में गंभीर है और हरसंभव मदद की जाएगी.
कैसे हुई थी बच्चियों की मौत?
18 फरवरी की सुबह करीब 11 बजे केडली गांव के राजकीय प्राथमिक स्कूल में खेलते-खेलते तीन बच्चियां वाटर टैंक के ऊपर चली गई थीं. इसी दौरान टैंक के ऊपर लगीं पट्टियां टूट गईं और तीनों छात्राएं टैंक में गिर गईं. टैंक में करीब 15 फीट तक पानी भरा था. सूचना पर आसपास के ग्रामीण पहुंच गए और ट्रैक्टर की मदद से टैंक से पानी बाहर निकाला. सीढ़ी लगाकर गांव के 4 लोग टैंक में उतर गए. करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद तीनों छात्राओं को बाहर निकाला गया. लोग आनन-फानन में उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टर ने तीनों बच्चियों को मृत घोषित कर दिया.
विधानसभा में उठा था मामला
इसके बाद गांव के लोग अस्पताल की मोर्चरी के आगे की धरने पर बैठ गए और प्रशासन से पांच सूत्रीय मांगों के पूरा होने के बाद ही शव का पोस्टमार्टम कराने की बात कहते रहे. मृतक बच्चियों के परिजनों के साथ नागौर सांसद भी धरने पर बैठ गए और अपनी आवाज बुलंद करते रहे. शुक्रवार को कांग्रेस ने यह मामला विधानसभा में भी उठाया, और सरकार से जवाब मांगते हुए पीड़ित परिवार की मांग मानने की बात कही. इसी के बाद देर रात प्रशासन और परिजनों ने सहमति बन गई, और सरकार ने सारी मांगे मान लीं.
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