ऑनलाइन गेम की लत में खराब हो रहा बच्चों का भविष्य, लाखों के कर्ज में डूबा परिवार... अब बेच रहे घर

राजस्थान के बाड़मेर में ऐसे कई केस है जिसमें ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में पूरा परिवार बर्बाद हो चुका है. क्योंकि बच्चे इन दिनों सूदखोरों के गिरफ्त में आ रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins

Online Gaming Addiction: ऑनलाइन गेमिंग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को खोलते ही इसका प्रचार प्रसार करते कई सेलिब्रेटी का वीडियो आपको दिख जाता है. इस प्रचार-प्रसार और गेम ऐप्स ने पढ़ने खेलने की उम्र वाले बच्चों को अमीर बनने का सपना दिखाकर लाखों रुपए का कर्जदार बना दिया है. कुछ युवाओं ने तो ऑनलाइन गेमिंग की लत में आकर अपनी जीवन ही समाप्त कर लिया. लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि बच्चों के भविष्य पर डाका डालने और कई परिवारों को बर्बाद करने वाले इन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं हो रही है.

राजस्थान के बाड़मेर में ऐसे कई केस है जिसमें ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में पूरा परिवार बर्बाद हो चुका है. क्योंकि बच्चे इन दिनों सूदखोरों के गिरफ्त में आ रहे हैं. ऑनलाइन गेमिंग के जरिए अमीर बनने के लिए सूदखोरों से कर्ज लेकर फंसते हैं और फिर ब्याज चुकाने में पूरा घर-बार बिक जाता है. क्योंकि ये रकम लाखों में होती है.

Advertisement

10-12 वीं के बच्चों पर लाखों का कर्ज मूल रकम से ज्यादा ब्याज

जानकर हैरान हो जाएंगे की बाड़मेर शहर के दसवीं से 12वीं पढ़ने वाले कई बच्चे 10-10 लाख रुपए के कर्जदार हैं. इनमें ज्यादातर बच्चों ने ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंसकर ऐसे लोगों से कर्ज ले लिया, जो लोग 10 रुपये प्रति सैकड़ा ब्याज वसूल कर रहे हैं. यह कर्ज माफिया न केवल ब्याज के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं. बल्कि स्कूली बच्चों को कर्ज देकर उन्हें ऑनलाइन गेमिंग, जुआ नशाखोरी के आदि भी बना रहे हैं. ये ब्याज माफिया कई स्कूलों और कॉलेज में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं. जहां किसी भी बच्चों को पैसे की जरूरत हो तो तुरंत कर्ज के रूप में यह पैसा इन बच्चों को दिया जाता है. शुरुआत 1-2 हजार या पांच हजार से होती हैं धीरे-धीरे यह कर्ज बढ़ता है तो ये ब्याज माफिया बच्चों पर दबाव बनाते हैं.

Advertisement

इतना ही नहीं इन्हीं कर्ज माफियाओं का का दूसरा साथी इन बच्चों को कर्ज चुकाने के झांसे में लेकर और पैसे दे देता हैं. जबकि यह भी उसी गैंग मेंबर हैं बच्चे जान नहीं पाते उसके चंगुल में फंस कर्ज और बढ़ा देते हैं. धीरे-धीरे कर्ज बढ़ता जाता हैं जरा कम जब 10 लाख से पर होती है तो यह ब्याज माफिया इन बच्चों के घर पहुंचते हैं. 

Advertisement

बाड़मेर में हुए ऑनलाइन गेमिंग के चार खतरनाक केस 

केस 1. बाड़मेर शहर के शास्त्री नगर निवासी बाबूलाल मकान बनाने का काम करते थे परिवार में तीन बेटे और एक बेटी है. बाबूलाल का मझला बेटा विक्रम उम्र 23 साल कॉलेज की पढ़ाई पूरी की तो 1 साल पहले धूमधाम से विक्रम की शादी की गई. शादी के बाद सब ठीक चल रहा था विक्रम आगे की पढ़ाई कर रहा था और नौकरी की तैयारी भी कर रहा था. पत्नी 6 माह की प्रेग्नेंट थी एक दिन अचानक घर की छत पर बने कमरे में विक्रम ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. परिवार को कुछ भी समझ नहीं आया पति-पत्नी के बीच सब कुछ ठीक था. परिवार में भी कुछ नहीं हुआ लेकिन बेटे के इस खौफनाक कदम ने परिवार की कमर तोड़ दी. मौत के तीसरे दिन विक्रम के मोबाइल पर अननोन नंबरों से कॉल आने शुरू हुई तो छोटे भाई ने विक्रम का मोबाइल खंगाला तो पूरे मामले का पता चला ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंसकर विक्रम अपने सारे पैसे हार गया तो लाखों रुपए का कर्ज ले लिया. यह लोग पैसे की वसूली के लिए लगातार विक्रम के ऊपर दबाव बना रहे थे. इसी से परेशान होकर विक्रम ने आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठा लिया. विक्रम की मौत के 2 महीने बाद पत्नी ने बेटी को जन्म दिया है लेकिन इस जुए की लत ने एक परिवार की खुशियां छीन ली. कर्जदारों से परेशान होकर जान देने के मामले में परिवार ने थाने से लगाकर जिला पुलिस अधीक्षक जिला कलेक्टर यहां तक जोधपुर रेंज आईजी तक गुहार लगाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

केस 2. शहर के एक परिवार का अच्छा खासा कारोबार है परिवार सुखी जीवन जी रहा था. ऐसे में बेटे को ऑनलाइन गेम की लत लग गई पॉकेट मनी में मिलने वाले पैसे हारने के बाद ब्याज माफिया के संपर्क में आया. जब परिवार पैसे वाला हो तो उसे भला उधर को नहीं देगा 10 रुपये प्रति सैकड़ा के ब्याज से ब्याज माफिया ने कर्ज दे दिया. जब रकम 10 लाख से ऊपर हो गई तो कर्ज माफिया पहुंच गए पिता के पास वसूली के लिए, पिता को मजबूरन मकान बेचकर बेटे का यह कर्ज चुकाना पड़ा.

केस 3. शहर में चाय की दुकान चलाने वाले व्यक्ति का नाबालिग बेटा सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार देख रातों-रात अमीर बनने के ख्वाब देख ऑनलाइन गेम खेलने लगा. पहले तो घर से ही मिले थोड़े बहुत पैसों से गेम खेल लेकिन कम पैसों से काम बनता नहीं देखा सूदखोरों 50 हजार 10 रुपये प्रति सैकड़ा से उधार लिए और गेम में हार गया. इस उधारी को चुकाने के लिए लगा कि यह गेम लाखों रुपए देगा तो जहां से मिला वहां से ब्याज पर पैसा उठा लिया. धीरे-धीरे कर्ज का आंकड़ा 15 लाख रुपये के करीब पहुंच गया तो ब्याज माफिया घर पहुंच गए तो परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई. अब पिता इन ब्याज माफिया से हाथ पांव जोड़ रहा है.

केस 4. शहर के ही निवासी एक व्यापारी के बेटे को गेमिंग की लत इस कदर लगी कि लाखों रुपए का कर्ज ब्याज माफिया से ले लिया. जब गेम से पैसे नहीं मिले तो कर्ज बढ़ता देख पिता के बैंक अकाउंट से 10 लाख रुपए निकाल लिये. पिता को जब इसकी भनक लगी तो बेटे से समझाइश करने की कोशिश की लेकिन बेटा यह लत छोड़ने को तैयार नहीं है.

ऑनलाइन गेमिंग एक दीमक की तरह युवाओं के भविष्य को खोखला कर रही है. बाड़मेर के कई युवा और नाबालिग़ बच्चे इस जाल में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं और कई सोशल मीडिया सेलिब्रिटी इस लत से दूर रहने की सलाह के बजाय इनका उपयोग कर रातों-रात करोड़पति बनने के सपने दिख रहे हैं. ऐसे में इस तरह के गेमिंग प्लेटफार्म पर बैन लगाने की मांग लंबे समय से चल रही है.

यह भी पढ़ेंः बिना शिक्षक चल रहे स्कूल को ग्रामीणों ने जड़ा ताला, शिक्षा अधिकारी ने कहा- क्या करें पूरे राजस्थान में है स्टाफ की कमी