CJI DY Chandrachud Exclusive Interview to NDTV: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) अक्सर अपने फैसलों को लेकर चर्चा में रहते हैं. उन्होंने कई ऐसे फैसले दिए जिसने भारतीय न्याय व्यवस्था में बड़ी मिसाल कायम की. बुधवार को मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने NDTV से विशेष बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने भारतीय न्याय व्यवस्था के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की महत्ता और अपने निजी जीवन से जुड़े कई सवालों पर खुलकर प्रतिक्रिया दी. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरा मिशन हर आम आदमी की पहुंच न्यायपालिका तक बनाना है. हमारे लिए कोई केस छोटा नहीं है. मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि हम आम लोगों के लिए हर समय उपलब्ध हैं.
जनता का पैसा खर्च होता है, इसलिए उसे जानने का हक हैः सीजेआई
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब तिलक मार्ग तक ही सीमित नहीं रह गया है. अब आप अब फोन के जरिए सुप्रीम कोर्ट से जुड़ सकते हैं. सर्वोच्च अदालत की सुनवाई देख सकते हैं. सीजेआई ने कहा कि जनता का पैसा खर्च होता है, इसलिए उसे जानने का हक है. पारदर्शिता से जनता का भरोसा हमारे काम पर और बढ़ेगा.
जब महिला की शिकायत पर अगले दिन किया बेंच का गठन
एक महिला की मेडिकल अबॉशर्न से संबंधित याचिका का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "कभी-कभी मुझे आधी रात को ई-मेल मिलते हैं. एक बार एक महिला को मेडिकल अबॉर्शन की जरूरत थी. मेरे स्टाफ ने मुझसे संपर्क किया. हमने अगले दिन एक बेंच का गठन किया. किसी का घर गिरा, किसी को बाहर किया, हमने तुरंत मामले सुने.
टेक्नोलॉजी के जरिए आम लोगों तक इंसाफ पहुंचाना उद्देश्य
टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि टेक्नोलॉजी के जरिए आम लोगों तक इंसाफ पहुंचाना मेरा मिशन है. टेक्नोलॉजी के जमाने में हम सबको साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं. कोई पीछे ना छूटे, इसके लिए हमने '18000 सर्विस सेंटर' बनाया है. जबकि ई-कोर्ट प्रोजेक्ट का मकसद सारी ई-सुविधाएं एक जगह पर मुहैया कराना है.
जिला अदालतों को मजबूत करना जरूरीः सीजेआई
जिला अदालतों पर सीजेआई ने कहा कि किसी को भी कोई कोई समस्या आती है, तो वो पहले सुप्रीम कोर्ट नहीं आता. सबसे पहले आम लोग जिला अदालत जाते हैं. इसलिए मैंने सोचा कि जिला जजों से मिलना जरूरी है, क्योंकि जब हम जिला कोर्ट को मजबूत करेंगे तो हम लोगों को जिला न्यायलय से जोड़ने को भी मजबूत कर पाएंगे. इसलिए हमने नेशनल कॉन्फ्रेंस की. इसमें 250 जज थे. गुजरात के कच्छ में हुए इस कॉफ्रेंस में मैंने उन जजों की कहानी सुनी. उनके ओपिनियन सुने, ताकि हम अपनी पॉलिसी मेकिंग को बदल सके और न लोगों तक हम जुड़ पाएं.
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