ख्वाजा गरीब नवाज़ के उर्स से पहले दरगाह में ही टकराव, नाज़िम के आदेश के बाद भारी हंगामा 

अंजुमन ने नाज़िम के आदेशों को “तुग़लकी फ़रमान” बताते हुए कहा कि जब तक नई दरगाह कमेटी का गठन नहीं हो जाता, नाज़िम किसी भी प्रकार का प्रशासनिक आदेश जारी करने के अधिकारी नहीं हैं.

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Dargah Khwaja Gareeb Nawaz: अजमेर दरगाह में प्रशासनिक अधिकारों को लेकर विवाद ख्वाजा गरीब नवाज़ के सालाना उर्स से ठीक पहले गहराता जा रहा है. अंजुमन मोइनिया फख़रिया चिश्तिया के सचिव सरवर चिश्ती ने दरगाह नाज़िम के हालिया आदेशों को मनमाना बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है. अंजुमन ने आरोप लगाया कि नाज़िम ने 22 नवंबर को बिना किसी मान्यता प्राप्त दरगाह कमेटी की मंजूरी के दुकानों, अलमारियों और अस्थायी निर्माण हटाने के निर्देश जारी किए, जबकि इस समय कोई कमेटी अस्तित्व में ही नहीं है. संस्था के अनुसार, यह कदम दर्गाह ख्वाजा साहब एक्ट–1955 की धारा 4 और 9 का स्पष्ट उल्लंघन है.

''हम 800 साल पुरानी दरगाह के खादिम, मनमानी नहीं चलेगी''

अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि “हम 800 साल पुरानी दरगाह के खादिम हैं और हमारे पूर्वजों द्वारा इस दरगाह की खिदमत की जाती आई है. नाज़िम के आदेश और उनकी मनमानी नहीं चलेगी.” सरवर चिश्ती ने नाज़िम को चेतावनी देते हुए कहा कि दरगाह की विरासत, उसकी व्यवस्था और आस्था के मामलों में गलत दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

अंजुमन ने नाज़िम के आदेशों को “तुग़लकी फ़रमान” बताते हुए कहा कि जब तक नई दरगाह कमेटी का गठन नहीं हो जाता, नाज़िम किसी भी प्रकार का प्रशासनिक आदेश जारी करने के अधिकारी नहीं हैं.

उर्स से पहले तनाव, अंजुमन ने दी चेतावनी“कोई भी गलत कदम भारी पड़ेगा”

अंजुमन ने दिल्ली हाईकोर्ट के 6 नवंबर 2025 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को तीन महीनों में नई दरगाह कमेटी नियुक्त करने को कहा गया है. ऐसे में नाज़िम की भूमिका सीमित है और वह कमेटी के बिना किसी भी बड़े फैसले पर कार्रवाई नहीं कर सकते.

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संस्था ने साफ चेतावनी दी कि उर्स नज़दीक है और नाज़िम की ओर से किसी भी प्रकार की गलत कार्रवाई या दखल की स्थिति में गंभीर परिणाम होंगे, जिनकी जिम्मेदारी नाज़िम पर ही होगी. अंजुमन ने प्रशासन से भी आग्रह किया है कि दरगाह में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थिति पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए.

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