Nagaur Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है और प्रथम चुनाव चरण के चुनाव की बिसात भी बिछ चुकी है. इसके तहत राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान होना है, जिसमें संसदीय क्षेत्र के 21 लाख 46 हजार 725 मतदाता अपने सांसद का चुनाव करेंगे. इस बार के चुनाव में भाजपा ने पूर्व सांसद डॉक्टर ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारा है. वहीं आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल इस बार इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बने हैं. इतिहास में पहली बार नागौर लोकसभा सीट से कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं होगा, बल्कि इस बार कांग्रेस ने गठबंधन के तहत आरएलपी के लिए यह सीट छोड़ी है.
काफी बदल गए समीकरण
पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो पिछले बार की तुलना में इस बार के समीकरण काफी बदल गए हैं. दोनों ओर से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के चेहरे भले ही वही हैं, लेकिन उनकी भूमिका बदल गई है. भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा पिछली बार कांग्रेस की प्रत्याशी थी, जबकि हनुमान बेनीवाल पिछली बार एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार थे. पिछली बार हनुमान बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा को 1.81 लाख वोटों पराजित किया था, जबकि 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सी आर चौधरी ने ज्योति मिर्धा को 75 हजार मतों से शिकस्त दी थी.
दोनों प्रत्याशियों ने बदली पार्टियां
इस बार दोनों प्रत्याशियों ने अपने-अपने दल बदल लिए हैं. ज्योति मिर्धा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गई थी. इसके बाद भाजपा ने पहले उन्हें नागौर विधानसभा का प्रत्याशी बनाया और अब उन्हें नागौर लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया है. जबकि हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था. इस बार के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया. इसके बाद अब वह कांग्रेस और आरएलपीएस के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में है.
पानी की समस्या
इसी बीच NDTV की टीम डीडवाना पहुंची और लोगों से बातचीत की. इस दौरान लोगों ने खुलकर अपनी बात कही. ज्यादातर मतदाता अपने सांसद से नाखुश नजर आए तो अधिकांश मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी प्रभावित दिखाई दिए. वहीं अगर बात की जाए मुद्दों की तो अब नागौर संसदीय क्षेत्र में नागौर और डीडवाना दो जिले हो गए हैं. दोनों ही जिलों में पीने का पानी सबसे बड़ी समस्या है. इंदिरा गांधी लिफ्ट कैनाल का पानी आने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पेयजल संकट बरकरार है.
'पलायन को मजबूर होते युवा'
इसके अलावा गांव ढाणियों तक पहुंचने के लिए सड़कों का अभाव है. ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा भी बेहाल और बदहाल है. गांव में सरकारी स्कूल तो बन गए है लेकिन उनमें शिक्षकों की भारी कमी है. रोजगार के साधन नहीं होने से युवाओं को पलायन करने को मजबूर होना पड़ता है. नागौर और डीडवाना से बड़ी संख्या में युवा सेना में शामिल होते थे, लेकिन अग्नि वीर योजना के बाद अब युवा सेना भर्ती से दूर होने लगे हैं. नागौर और डीडवाना जिला खनिजों के मामले में संपन्न होने के बावजूद बड़े उद्योगों के मामले में पिछड़े हुए है.
'क्षेत्र में दोबारा नहीं आते सांसद'
यह नहीं लोगों की आय का सबसे बड़ा जरिया कृषि और पशुपालन है. लेकिन कृषि मौसम आधारित होने और नागौरी नस्ल के मेलों के परिवहन पर रोक से पशुपालन व्यवसाय भी खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है. लोगों का आरोप है कि सांसद बनने के बाद कोई भी सांसद दोबारा आकर क्षेत्र की सुध नहीं लेता, ना ही जनता की समस्याओं को दूर करता है. हालांकि अधिकांश मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित नजर आए और वह पीएम मोदी के नाम पर ही वोट करने के बात कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- ज्योति मिर्धा के वायरल वीडियो पर बोले हनुमान बेनीवाल, 'बीजेपी खत्म करके रहेगी बाबा साहब का संविधान'