Rajasthan New Boards: राजस्थान में 8 बोर्ड के गठन का ऐलान, चुनाव से पहले CM अशोक गहलोत ने दी मंजूरी

सभी बोर्ड संबंधित वर्गों की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और इनके पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देंगे.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

Rajasthan News: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने आठ बोर्ड के गठन को मंजूरी दी है. एक सरकारी बयान के अनुसार, नवगठित बोर्ड में राजस्थान राज्य राजा बली कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य वाल्मिकी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य मेघवाल कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य पुजारी कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य केवट कल्याण (मां पूरी बाई कीर) बोर्ड, राजस्थान राज्य जाटव कल्याण बोर्ड, राजस्थान राज्य धाणका कल्याण बोर्ड और राजस्थान राज्य चित्रगुप्त कायस्थ कल्याण बोर्ड शामिल हैं.

राज्य सरकार को देंगे सुझाव

बयान के मुताबिक, सभी बोर्ड संबंधित वर्गों की स्थिति का जायजा लेने, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और इनके पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देंगे. बयान में कहा गया है कि ये बोर्ड संबंधित वर्ग के कल्याण के वास्ते विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने, उनके लिए वर्तमान में संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में विभिन्न विभागों से समन्वय करने, परंपरागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने, रोजगार को बढ़ावा देने तथा शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन के संबंध में सुझाव दिए जाएंगे.

5 गैर सरकारी सदस्य शामिल

बयान के मुताबिक, ये बोर्ड सामाजिक बुराइयों एवं कुरीतियों के खिलाफ ठोस उपाय करने सहित अन्य सुझाव भी राज्य सरकार को देंगे. सभी बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं तीन सदस्य सहित पांच-पांच गैर-सरकारी सदस्य होंगे. राज्य के विभिन्न विभागों के शासन सचिव, आयुक्त, निदेशक, संयुक्त निदेशक एवं उप निदेशक स्तर के अधिकारी इनके सरकारी सदस्य होंगे.

होने वाले हैं विधानसभा चुनाव

गौरतलब है कि राजस्थान में इस साल की आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए सभी पर्टियों के दिग्गज नेता तैयारियों में जुटे हुए हैं. इस चुनाव के बाद अगले साल लोकसभा के भी चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव पर खास फोकस किया जा रहा है क्योंकि इस चुनाव का रिजल्ट सीधे तौर पर जनता के फैसले का इशारा होगा कि आमजन किस पार्टी पर विश्वास कर रही है और किस सरकार को देखना चाहती है.   

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