CM Bhajan Lal Sharma: सीएम भजनलाल ने नए कानून पर की वीसी, बोले- ...गृह विभाग और पुलिस विभाग की जिम्मेदारी

CM Bhajan Lal Sharma: आज यानी 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए. नये कानूनो की पालना में सीएम भजनलाल शर्मा ने होम और पुलिस अधिकारियों के साथ वीसी की. 

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नये कानूनो की पालना में सीएम भजनलाल शर्मा ने होम और पुलिस अधिकारियों के साथ वीसी की.

CM Bhajan Lal Sharma: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने 150 साल पुराने कानूनों में बदलाव का बड़ा काम किया है. देश में अभी तक अंग्रेजों के ज़माने का क़ानून चल रहे थे, ये कानून अंग्रेज़ी राज ने देश पर शासन करने के लिए बनाए थे.  लेकिन, अब केंद्र सरकार ने जनता के हित के लिए इनमें बड़े बदलाव किए हैं. 

"जनता को पता होना चाहिए कि नए कानून क्या हैं"  

सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि गृह विभाग और पुलिस विभाग की ज़िम्मेदारी है कि इन कानूनों के प्रति जागरूकता लाई जाए. जनता को पता होना चाहिए कि नए क़ानून क्या है.  क्या बदलाव हुए हैं और उसमें क्या उनका हित है?  बदमाशों में इस बात का खौफ़ होना चाहिए कि अब क्राइम करने के बाद कई कानूनों में उनको बचने का रास्ता था वो नहीं मिल पाएगा. 

"कानूनों के पालन के लिए प्रभावी मॉनिटरिंग जरूरी" 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि नए कानूनों की पालना के लिए प्रभावी मॉनिटरिंग हो. पुलिस थाना चौकी स्तर पर सभी को इसकी जानकारी हो. इसके लिए भी ट्रेनिंग व्यवस्था जैसे कदम उठाए जाने जरूरी है. 

तीन नए आपराधिक कानून लागू 

150 साल पुरानी दण्ड आधारित न्याय प्रणाली के लिए पुराने आपराधिक कानूनों की जगह अब तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गया. ये 3 नए कानून - भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लागू हुए,  ये भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह ले चुके हैं.

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शादी का वादा कर धोखा देने पर 10 साल की जेल  

नए भारतीय न्याय संहिता में नए अपराधों को शामिल गया है. जैसे- शादी का वादा कर धोखा देने के मामले में 10 साल तक की जेल. नस्ल, जाति- समुदाय, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा, छिनैती के लिए तीन साल तक की जेल.

आतंकवाद-रोधी कानूनों को किया शामिल   

यूएपीए जैसे आतंकवाद-रोधी क़ानूनों को भी इसमें शामिल किया गया है. एक जुलाई की रात 12 बजे से देश भर के 650 से ज़्यादा ज़िला न्यायालयों और 16,000 पुलिस थानों को ये नई व्यवस्था अपनानी है. अब से संज्ञेय अपराधों को सीआरपीसी की धारा 154 के बजाय बीएनएसएस की धारा 173 के तहत दर्ज किया जाएगा.

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