उदयपुर सिटी पैलेस के इसी धूणी दर्शन के लिए हो रहा विवाद, आर-पार की लड़ाई में अड़े हैं विश्वराज और लक्ष्यराज

उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी माता मंदिर के दर्शन को लेकर विश्वराज सिंह मेवाड़ अड़े हुए हैं. जबकि लक्ष्यराज मेवाड़ सिटी पैलेस के दरवाजा नहीं खोल रहे हैं. धूणी माता मंदिर को लेकर मेवाड़ राजपरिवार में पुरानी परंपरा है.

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Udaipur City Palace Dhuni Temple: उदयपुर मेवाड़ राज परिवार में विश्वराज सिंह मेवाड़ और लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर विश्वराज सिंह मेवाड़ धूणी दर्शन के लिए अड़े हुए हैं. वहीं दूसरी ओर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ सिटी पैलेस का दरवाजा खोलने को तैयार नहीं है. सोमवार (26 नवंबर) को विश्वराज सिंह मेवाड़ का महाराणा के रूप में राजतिलक किया गया था. जिसके बाद वह उदयपुर सिटी पैलेस धूणी दर्शन और एकलिंग जी दर्शन के लिए पहुंचे थे. लेकिन घंटों विवाद के बाद भी विश्वराज को सिटी पैलेस में एंट्री नहीं मिली. यहां तक की देर रात यहां पत्थरबाजी भी हुई. 

सिटी पैलेस के पास पत्थरबाजी की घटना के बाद सिटी पैलेस के गेट पर रिसीवर नियुक्ति करने का ऑर्डर भी चस्पा किया है. इसमें बड़ी पोल से धूणी और जनाना महल तक जाने वाले रास्ते के साथ धूणी वाले स्थान को कुर्क करने की भी जानकारी दी गई है. उदयपुर सिटी पैलेस के आसपास पुलिस ने तीन लेयर में बैरिकेडिंग लगाई है.

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इसी धूणी दर्शन के लिए हो रहा विवाद

सिटी पैलेस के अंदर धूणी माता का मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मेवाड़ राजघराने की कुलदेवी है. लेकिन यह विश्वराज मेवाड़ के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के नियंत्रण में आता है. लेकिन मेवाड़ राजघराने के लोगों में यह परंपरा रही है कि कोई भी शुभ काम करने से पहले वह धूणी का दर्शन करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि धूणी के दर्शन से उनके किसी भी काम में बाधा नहीं आती है. यह भी पुरानी परंपरा रही है कि अगर किसी सदस्य का राजतिलक होता है तो वह धूणी के दर्शन करते हैं. धूणी मंदिर को लेकर कहा जाता है यह परंपरा उदयपुर की स्थापना से भी पहले शुरू हुई थी.

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वहीं विश्वराज सिंह मेवाड़ का कहना है कि उन्होंने अंतिम बार साल 1984 धूणी का दर्शन किया था. यानी वह 40 साल से यहां नहीं गए हैं. लेकिन अब उनका कहना है कि परंपरा को निभाने के लिए उन्हें सिटी पैलेस में जाना है.

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एकलिंग जी मंदिर को लेकर भी है मान्यता

एकलिंग जी मंदिर को लेकर मेवाड़ राजपरिवार में मान्यता है कि महाराणा इसे दीवान मानते थे. इसलिए राजतिलक के बाद यहां दर्शन की परंपरा है और पुजारी उन्हें महाराणा की छड़ी सौंपते हैं. जो शासन की छड़ी होती है. कहा जाता है कि महाराणा की मान्यता इसी मंदिर से मिलती है. लेकिन विश्वराज सिंह मेवाड़ के लिए यहां भी एंट्री पर पांबदी लगाई गई है.

विश्वराज सिंह मेवाड़ का कहना है कि वह किसी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'हमें आवाज उठानी है, लेकिन कानून को हाथ में नहीं लेना है. धूणी के दर्शन से पहले हम चाहते हैं कि कलेक्टर अपनी बात के अनुसार, उस एरिया को सीज करें. कल जब मैंने उनसे कहा था जो कलेक्टर ने बताया था कि नोटिस उन्होंने लगा दिया है. मगर अंदर जाकर जगह कुर्क करने के लिए उनके पास पर्याप्त फोर्स नहीं है. 

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