Udaipur News: पूरब का वेनिस कहलाने वाला उदयपुर और महाराणा प्रताप के वंशजों का राजघराना फिर सुर्खियों में है. इसकी वजह है राजपरिवार के बीच संपत्ति का विवाद. दरअसल, मेवाड़ के पूर्व राजघराने के आखिरी महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ का गत 10 नवंबर को देहावसान हो गया. इसके बाद 25 नवंबर को उनके
इकलौते बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ (Vishvaraj Singh Mewar) का पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम हुआ. चित्तौड़गढ़ दुर्ग में एक पारपंरिक आयोजन में विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक हुआ. इसके बाद परंपरा के दौर पर उनका उदयपुर स्थित सिटी पैलेस (Udaipur City Palace) में धूणी और एकलिंगजी मंदिर के दर्शन का भी कार्यक्रम है. लेकिन इन दोनों स्थानों पर ऐसे किसी कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई. इन स्थानों की देख-रेख करने वाले ट्रस्ट की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर अनाधिकृत व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई. इस विज्ञप्ति के जारी होने के बाद अब विवाद शुरू हो गया है.
(विश्वराज सिंह मेवाड़)
कैसे शुरू हुआ राजघराने में घमासान
दरअसल, यह पूरा मामला मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के बीच संपत्ति विवाद से जुड़ा है. मेवाड़ राजपरिवार में 1930 से 1955 तक महाराणा रहे भूपाल सिंह का कोई बेटा नहीं था. भूपाल सिंह और उनकी पत्नी वीरद कुंवर ने परिवार के ही एक सदस्य प्रताप सिंह के बेटे भगवत सिंह को गोद लिया. भगवत सिंह के परिवार में दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह के अलावा उनकी एक बेटी योगेश्वरी भी हैं.
संपत्ति विवाद की शुरुआत साल 1984 में हुई जब विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ कोर्ट चले गए थे. उन्होंने अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के खिलाफ मुकदमा किया था. इससे नाराज होकर भगवत सिंह ने अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया. महेंद्र मेवाड़ को प्रॉपर्टी और ट्रस्ट से बाहर कर दिया. यहीं से मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के बीच सपंत्ति विवाद की कानूनी लड़ाई शुरू हुई.
जिला कोर्ट ने 3 हिस्सेदारों में 4-4 साल के लिए बांट दी थी संपत्ति
भगवत सिंह का 3 नवंबर 1984 को निधन हो गया. इस मामले में 37 साल सुनवाई चली जिसके बाद उदयपुर की जिला अदालत ने 2020 में एक चौंकाने वाला फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि जो संपत्तियां भगवत सिंह ने अपने जीवनकाल में बेच दी थीं, उन्हें दावे में शामिल नहीं किया जाएगा. इस फैसले के बाद सिर्फ तीन संपत्ति शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर ही बची, जिसे बराबर हिस्सों में बांटा जाना था. कोर्ट ने संपत्ति का एक चौथाई भगवत सिंह, एक चौथाई महेंद्र सिंह मेवाड़, एक चौथाई बहन योगेश्वरी को और एक चौथाई अरविंद सिंह मेवाड़ को दिया.
इसके साथ ही कोर्ट ने यह कहा कि शंभू निवास पर 1 अप्रैल 2021 से 4-4 साल के लिए महेंद्र मेवाड़, योगेश्वरी और अरविंद सिंह रहेंगे. अरविंद सिंह मेवाड़ शंभू निवास में 35 साल रह लिए थे. ऐसे में 1 अप्रैल 2021 से चार साल महेंद्र मेवाड़ और चार साल योगेश्वरी देवी को रहने के लिए कहा गया. इस दौरान संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग पर भी कोर्ट ने रोक लगाई. इसके बाद घास घर और बड़ी पाल पर कॉमर्शियल कार्यक्रम नहीं किए गए. फिर यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था.
साल 2022 में होईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर लगाई रोक
साल 2022 में राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए इसी विवाद में छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बड़ी राहत दी थी. इसके मुताबिक अंतिम निर्णय होने तक इन तीनों ही प्रॉपर्टी पर अरविंद सिंह मेवाड़ का ही अधिकार रहेगा. प्रॉपर्टी से बाहर करने के बाद महेंद्र सिंह मेवाड़ और उनके छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया.
महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ हैं. वह राजस्थान विधानसभा में नाथद्वारा से बीजेपी के विधायक हैं. अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह अपने परिवार के साथ सिटी पैलेस उदयपुर में रहते हैं.
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