Rajasthan: विश्वराज सिंह मेवाड़ के सिटी पैलेस और एकलिंग मंदिर जाने पर विवाद गहरा सकता है. क्योंकि यह दोनों जगह ट्रस्ट के हिस्से में है. मंदिर एकलिंगजी ट्रस्ट के अंतर्गत है, और सिटी पैलेस महाराणा और मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन की संपत्ति है. दोनों ट्रस्ट के संचालक विश्वराज सिंह मेवाड़ के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ हैं. अरविंद सिंह मेवाड़ को इसका जिम्मा उनके पिता की वसीयत के आधार पर मिला है.
ट्रस्ट ने मंदिर में प्रवेश पर लगाई रोक
रविवार (24 नवंबर )को दोनों ट्रस्टों ने नोटिस जारी कर कहा है कि विश्वराज सिंह मेवाड़ असंवैधानिक रूप से कानून व्यवस्था भंग कर 25 नवंबर को निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए मंदिर और सिटी पैलेस में प्रवेश करने की कुचेष्टा कर रहे हैं. ट्रस्ट ने पुलिस प्रशासन को भी इस बारे में सूचित किया है. ट्रस्ट ने कहा है कि आज (25 नवंबर) केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश दिया जाएगा, अधिकृत व्यक्ति ही मंदिर में दर्शन कर पाएंगे. रैली, हंगामा या नारेबाजी करते हुए कोई प्रवेश करता है, तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सिटी पैलेस को 24 नवंबर को आम नागरिक और सैलानियों के लिए भी बंद किया है.
सिटी पैलेस के गेट पर पुलिस तैनात
सिटी पैलेस को आम नागरिक और सैलानियों के लिए भी बंद किया है. उदयपुर में सिटी पैलेस के गेट पर पुलिस को तैनात कर दिया गया है. सैलानियों को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है. चित्तौड़गढ़ में चित्तौड़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में कार्यक्रम के बाद विश्वराज सिंह का उदयपुर जाने का कार्यक्रम है. वहां पर सिटी पैलेस में धूणी पर दर्शन करने करने का कार्यक्रम है.
एकलिंंगनाथ जी को मेवाड़ का राजा माना जाता है
इसके बाद एकलिंगनाथ जी जाने का कार्यक्रम रखा गया है. एकलिंगनाथ जी को मेवाड़ का राजा माना जाता है. एकलिंगनाथ जी के दीवान के रूप में महाराणाओं ने अपने कार्य का निर्वहन किया. इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए विश्वराज सिंह मेवाड़ एकलिंगजी मंदिर का दर्शन करेंगे.
सोशल मीडिया पर बहस
इस पर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई. कुछ लोग लोकतंत्र में राजतंत्र जैसे आयोजन पर आपत्ति जता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे हैं. BAP के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र मीणा ने सोशल मीडिया 'X' पर लिखा- "रजवाड़े खत्म हो गए हैं. देश संविधान से चलेगा. इस तरह के आयोजन बंद होने चाहिए."
वहीं मंडल आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. विवेक भाटी ने लिखा है- "ये किस बात का राजतिलक है. इस राजा का शासन कहां चलता है? इनके नाम के सिक्के कहां छपते हैं?" डॉ. अंबेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी और कर्मचारी एसोसिएशन ने भी विरोध जताते हुए सीएम के नाम पत्र लिखा है.
वहीं एक यूजर ने कमेंट में लिखा है,"संविधान के आर्टिकल 13 के मुताबिक इस तरह की गतिविधियां अमान्य हैं. राजशाही-राजतिलक का मतलब ही जनता को नीचा दिखाना है."
भरतपुर राजघराने के पूर्व सदस्य ने किया समर्थन
भरतपुर पूर्व राजघराने के सदस्य अनिरुद्ध डी. भरतपुर इस बारे में लगातार ट्वीट कर रहे हैं और उन्होंने विरोध पर आपत्ति जताई है. उन्होंने 22 नवंबर को सोशल मीडिया 'X' पर लिखा- "गढ़ ठाकुर का, पंडित ठाकुर का, मेहमान ठाकुर के, सारा खर्चा ठाकुर का, राजतिलक ठाकुर का."
राजपूत समाज के कुछ संगठन भी इस आयोजन के पक्ष में हैं. राजपूत ऑफ इंडिया और क्षत्रिय मीडिया ग्रुप जैसे संगठनों ने इसका समर्थन किया है.
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