राजस्थान में 'काऊ पॉलिटिक्स'! गो तस्करी के आरोपी को मिली जमानत, टीकाराम जूली ने भजनलाल सरकार को घेरा 

Rajasthan: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान को नोटिस भेजा. 8 अक्टूबर को राज्य सरकार को नोटिस मिल गई. लेकिन, वकालतनामा पेश नहीं किया तो आरोपी जमानत पर रिहा हो गए. इस पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा. 

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Rajasthan: राजस्थान सरकार ने वकालतनामा पेश नहीं किया, तो सुप्रीम कोर्ट ने गो तस्करी के आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया. न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने नजीम की अपील पर यह आदेश दिया. आरोपी के खिलाफ फरवरी 2021 में करौली जिले के नादोती थाने में केस दर्ज हुआ. उसके पास 26 गाय मिलीं. आरोपी फरार हो गया. अप्रैल 2024 में आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. 

8 अक्टूबर को राज्य सरकार को मिल गई थी नोटिस  

8 अक्टूबर को राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट का नोटिस मिली. लेकिन, राज्य सरकार ने वकालतनामा तक पेश नहीं किया. इससे कोर्ट को अपील करने के खिलाफ लंबित 6 और मामलो की स्थिति का पता नहीं चल पाया. आरोपी यूपी का रहने वाला है. वह ट्रायल में भाग नहीं ले रहा है. लेकिन,  उसे बिना किसी वजह से अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. इस आधार पर कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. 

टीकाराम जूली ने सरकार को घेरा, सोशल मीडिया पर किया पोस्ट  

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार को घेरा है. उन्होंने सोशल मीडिया 'X' पर पोस्ट किया. टीकाराम जूली ने लिखा,  "मुंह में राम, बगल में छूरी' यह है बीजेपी वालों की असलियत! साल 2021 में करौली जिले में राजस्थान पुलिस ने नाजिम नामक शख्स और उनके कुछ साथियों को गौ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोपियों को 26 गोवंशों की तस्करी कर उत्तर प्रदेश ले जाते हुए पकड़ा गया था जिसके बाद कई संगीन धाराओं में मुकदमा बना."

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"प्रदेश को ऐसी पर्ची सरकार मिली"

आरोपी सेशन कोर्ट गए, जमानत नहीं मिली, हाईकोर्ट गए वहां भी निराशा हाथ लगी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां आरोपियों ने कहा जमानत दीजिए. लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका के खिलाफ सरकारी काउंसिल ही नहीं पहुंचा और वकालतनामा भी पेश नहीं किया गया और आरोपी को जमानत मिल गई.  कोर्ट ने फैसले में लिखा - 8 अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार को नोटिस दिया था लेकिन ना तो वकालतनामा आया ना कोई काउंसिल, यह प्रदेश का बड़ा दुर्भाग्य है कि उनको ऐसी पर्ची सरकार मिली. 

गाय को आवारा की जगह निराश्रित कहा जाएगा 

आज प्रदेश के गोपालन विभाग ने एक नोटिस निकाला, जिसमें कहा गया कि गाय को 'आवारा' नहीं कहा जाएगा, वो अपमानजनक है, उन्हें ‘निराश्रित' या ‘बेसहारा' कहा जाएगा.  यह भाजपा सरकार सिर्फ नाम बदलने में एक्सपर्ट है.  गाय भाजपा के लिए सिर्फ एक राजनीतिक हथियार है, काश ये लोग गायों को राजनीतिक हथियार ना समझ कर सच में इज्जत करते तो आज आरोपियों को जमानत नहीं मिलती. 

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