जीजा-साली, चाचा-भतीजी के बाद अब यहां पति-पत्नी आए आमने-सामने, दिलचस्प होगा मुकाबला!

राजस्थान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राजस्थान सरकार में मंत्री रहे चौधरी नारायण सिंह के बेटे दांतारामगढ़ विधानसभा से वर्तमान विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह व उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख एवं जेजेपी प्रत्याशी डॉ. रीटा सिंह इस बार दांतारामगढ़ विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के सामने चुनाव लड़ रहे हैं.

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वीरेंद्र सिंह Vs डा. रीटा सिंह

राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार अलग-अलग चुनावी रंग देखने को मिल रहे हैं. कहीं जीजा-साली तो कहीं चाचा-भतीजी चुनावी मैदान में है तो वहीं सीकर जिले की दांतारामगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार एक अलग ही दिलचस्प व रोचक मुकाबला होने वाला है, जहां चुनावी मुकाबले में पति-पत्नी दोनों आमने-सामने चुनावी दंगल में उतर गए हैं.

जी हां हम बात कर रहे हैं राजस्थान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राजस्थान सरकार में मंत्री रहे चौधरी नारायण सिंह के बेटे दांतारामगढ़ विधानसभा से वर्तमान विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह व उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख एवं जेजेपी प्रत्याशी डॉ. रीटा सिंह की, जो इस बार दांतारामगढ़ विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के सामने चुनाव लड़ रहे हैं.

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अब देखना होगा कि दांतारामगढ़ की जनता किसे अपना समर्थन देकर अगला विधायक सुनती है. फिलहाल, इसके लिए 3 दिसंबर को होने वाली मतगणना तक इंतजार करना पड़ेगा. 

अब देखना यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में दांतारामगढ़ की जनता किसे अपना वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि चुनती है. हालांकि दातारामगढ़ सीट से कांग्रेस व जेजेपी के अलावा भाजपा, CPIM सहित अन्य दलों व निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में है, लेकिन पति-पत्नी के आमने-सामने होने से मुकाबला रोचक हो गया है, जिसकी इलाके में काफी चर्चा है. 

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दांतारामगढ़ सीट पर पति-पत्नी के बीच होने वाला यह मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है

एनडीटीवी राजस्थान के खास इंटरव्यू में जेजेपी प्रत्याशी व पूर्व जिला प्रमुख रीटा सिंह ने कहा कि उन्होंने दांतारामगढ़ इलाके में जिला प्रमुख रहते हुए काफी काम करवाया है और जो काम शेष रहे हैं, उन्हें वह अगर जनता का आशीर्वाद मिला तो आगामी समय में पूरा करवायेंगी. उन्होंने कहा कि इलाके में पेयजल की समस्या, खस्ता हाल सड़क, बालिका शिक्षा, खेल व चिकित्सा सहित अनेक समस्याएं हैं. उन्होंने कहा कि इलाके का जिस तरह से विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया. 

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डॉ. रीटा सिंह ने कहा, मैंने कांग्रेस से पूर्व में सीकर लोकसभा की टिकट की मांग भी की थी. 2018 में दांतारामगढ़ से भी टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया. इसके बाद पारिवारिक मतभेदों के चलते राजनीतिक दूर होती चली गई. इस बार जेजेपी ने उन पर विश्वास जताया है, जिस पर मैं खरा उतरने का प्रयास करूंगी.

वहीं, दांतारामगढ़ से जेजेपी से प्रत्याशी रीटा सिंह के पति दांतारामगढ़ विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने भी अपने पिता पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष एवं दांतारामगढ़ विधानसभा से 7 बार विधायक रहे चौधरी नारायण सिंह के कार्यकाल में हुए विकास कार्य और पिछले 5 साल में खुद के कार्यकाल में करवाए गए इलाके के अनेक विकास कार्य को गिनाते हुए आगामी चुनाव में भी जीत हासिल करने का दावा किया है. 

दिलचस्प बात यह है कि  इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह नेजननायक जनता पार्टी, सीपीएम व भाजपा पर भी जमकर निशाना साधा, लेकिन उनके खिलाफ चुनाव लड़ी रही पत्नी रीटा सिंह के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला. कहा जा सकता है कि दांतारामगढ़ सीट पर पति-पत्नी के बीच होने वाला यह मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है.

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