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This Article is From Nov 07, 2023

यहां फकीर के बेटे से है हिंदू महंत का मुकाबला, पिछला चुनाव महज 872 वोटों से हारी थी बीजेपी

पोकरण में पिछले तीन चुनावों में से दो में कांटे की टक्कर रही है. 2008 में सालेह मोहम्मद ने भाजपा के शैतान सिंह को 339 वोटों से हराया था. परिसीमन प्रक्रिया के बाद यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई.थी, वहीं 2013 के चुनाव में शैतान सिंह ने सालेह मोहम्मद को 34,444 के भारी अंतर से हराया.

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यहां फकीर के बेटे से है हिंदू महंत का मुकाबला, पिछला चुनाव महज 872 वोटों से हारी थी बीजेपी
सालेह मोहम्मद और महंत स्वामी प्रताप पुरी (फाइल फोटो)

पिछले विधानसभा चुनाव में पोकरण विधानसभा सीट पर हार जीत का फैसला सिर्फ 872 वोट के अंतर से हुआ था, लेकिन इस बार भी यहां मुकाबला दिलचस्प बन चुकी है, जहां इस बार एक हिंदू महंत और मुस्लिम धर्म गुरु के बेटे आमने-सामने हैं. प्रदेश में मतदान 25 नवंबर होना है और जब 3 दिसंबर को मतगणना के बाद रिजल्ट आएंगे, तो पोकरण पर सबकी नजर टिकी रहेंगी.

हालांकि कांग्रेस के मौजूदा विधायक सालेह मोहम्मद को उम्मीद है कि लोग उनके विकास कार्यों के लिए वोट करेंगे, न कि धार्मिक आधार पर. सालेह मोहम्मद ने ‘कहा कि इस बार चुनाव विकास के बारे में है. कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक विकास कार्य किए हैं, जबकि धर्म कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने दोहराते हुए कहा कि चुनाव में हिंदू-मुस्लिम कोई कारक नहीं है.

राज्य की अशोक गहलोत सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सालेह ने कहा कि उनके या सरकार के खिलाफ कोई 'सत्ता विरोधी लहर' नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के बड़े बड़े नेता प्रचार के लिए आएंगे तो धर्म के आधार पर भाषण देंगे, लेकिन इसका अब लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

वहीं, पोकरण सीट से भाजपा के उम्मीदवार एवं महंत स्वामी प्रताप पुरी जोर देकर कहते हैं कि विकास कार्यों पर कांग्रेस पार्टी के दावे मतदाताओं को लुभाने के लिए है, क्योंकि ये सभी चुनाव से पहले की गई घोषणाएं हैं. उन्होंने कहा, मैं पिछले 5 वर्षों से लोगों से जुड़ा हुआ हूं. कांग्रेस अपने काम की बात तो कर रही है लेकिन उनमें से ज्यादातर सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित हैं और चुनाव से ठीक पहले की गई घोषणाएं केवल लोगों को लुभाने का प्रयास भर हैं.

भाजपा प्रत्याशी महंत स्वामी प्रताप पुरीने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए 'मामूली' काम की तुलना केंद्र के काम से नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार काम तो शुरू करती है लेकिन वह काम पूरा होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.

गौरतलब है पुरी और सालेह मोहम्मद दोनों का अपने अपने समाज पर प्रभाव है. पुरी राजपूत समाज के नेता और बाड़मेर जिले में तारातारा मठ के धार्मिक प्रमुख यानी महंत हैं जबकि सालेह मोहम्मद के भारत में और सीमा पार पाकिस्तान में बड़ी संख्या में समर्थक हैं. अपने पिता गाजी फकीर की मृत्यु के बाद वह अब पाकिस्तान में सिंधी मुसलमानों के धार्मिक प्रमुख पीर पगारो के प्रतिनिधि हैं.

राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसलमेर में पोकरण निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 2.22 लाख मतदाता हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम या राजपूत हैं. यहां करीब 60,000 मुस्लिम, 40,000 राजपूत, 35,000 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, 10,000 जाट, 6,000 बिश्नोई, 5,000 माली और 3,000 ब्राह्मण मतदाता हैं.

पोकरण सीट प्रत्याशी बनाए गए दोनों नेता अपने धार्मिक वोट बैंकों पर भरोसा कर रहे है जबकि अन्य समुदायों का समर्थन उम्मीदवारों का भाग्य तय कर सकता है. स्थानीय मुद्दे और पिछले पांच वर्षों में लोगों के साथ नेताओं के व्यक्तिगत संबंध भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

स्थानीय राजनीतिक विश्लेषक मनोहर जोशी की मानें तो क्षेत्र में चुनाव आमतौर पर सिर्फ उम्मीदवारों के प्रदर्शन के बारे में नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि पोकरण को कॉलेज मिले हैं, गांवों के लिए बेहतर सड़क संपर्क, एक बेहतर जिला अस्पताल, एक परिवहन पंजीकरण कार्यालय और अन्य चीजें मिली हैं. उन्होंने कहा, 'यहां लोग अपने धर्म के आधार पर वोट देते हैं और बाकी सब चीजें पीछे रह जाती हैं.

उल्लेखनीय है पोकरण में पिछले तीन चुनावों में से दो में कांटे की टक्कर रही है. 2008 में सालेह मोहम्मद ने भाजपा के शैतान सिंह को 339 वोटों से हराया था. परिसीमन प्रक्रिया के बाद यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई.थी, वहीं 2013 के चुनाव में शैतान सिंह ने सालेह मोहम्मद को 34,444 के भारी अंतर से हराया. वहीं, 2018 में जब भाजपा ने पुरी को मैदान में उतारा तो वह मोहम्मद से महज 872 वोटों से हार गए.

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