जयपुर टैंकर ब्लास्ट घटना में मृत लोगों की नहीं हो रही पहचान, FSL को भेजा जा रहा DNA सैंपल

जयपुर टैंकर ब्लास्ट कांड में अभी भी कुछ ऐसे मृतक हैं जिनकी पहचान नहीं हो पा रही है. इसके लिए FSL टीम को डीएनए सैंपल भेजा गया है.

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Jaipur Tanker Blast: राजस्थान की राजधानी जयपर के भांकरोटा में हुए हादसे के बाद चिकित्सा विभाग ने काफी संवेदनशीलता और सजगता दिखाई. दुर्घटना स्थल से एसएमएस अस्पताल तक मरीजों को आसानी से पहुंचाने के लिए ट्रैफिक व्यवस्था बदली गई है. अजमेर हाईवे पर दमकल, पुलिस की गाड़ियां, सिविल डिफेंस और अधिकारियों के अलावा सभी वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया. जिससे की एंबुलेंस कम समय से अस्पताल पहुंच पाए. तीन दिन पहले जिस आईसीयू को तैयार किया गया था, वहां भी मरीजों को भर्ती कराया गया है. जिससे की ज्यादा संख्या में मरीजों को तुरंत उचित इलाज मिल पाया.

मृतकों की पहचान में आ रही दिक्कत

इस घटना में कई मृतकों की पहचान नहीं हो पा रही है. अब तक 5 मृतकों की पहचान नहीं हुई है. कुछ लोग परिजनों को ढूंढ रहे हैं. इसलिए मृतकों के डीएनए सैंपल को लेकर एफएसएल भेजा जा रहा है ताकि उनके परिजनों की पहचान हो सके. वहीं घायलों की पहचान भी जरूरी थी. इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से आईटी विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई. उन्होंने मरीज के मोबाइल नंबर से  जन आधार और आधार के माध्यम से परिवारजनों का विवरण निकालकर उनको घटना की सूचना दी. जो घायल दूसरे अस्पतालों में भर्ती हुए थे, उनकी भी लिस्ट बनाई गई है.

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मरीज के  परिवार जनों को  हॉस्पिटल बुलाकर उनसे मिलाया गया परिजनों का भी पूरा ध्यान रखा गया. उनको व्यवस्थित ढंग से पर्ची देकर प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक-एक को उनके परिवार जनों से मिलाया गया.

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SMS अस्पताल प्रबंधन ने बनाई डॉक्टरों की टीम

एसएमएस अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टरों की टीम तैयार की है. बर्न वार्ड में पहले से जो मरीज भर्ती थे, उन्हें दूसरे वार्ड में भर्ती किया गया है, ताकि इस घटना में घायलों को जरूरी उपचार मिल पाए. फिर एक डेडीकेटेड कंट्रोल रूम बनाकर हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया. इससे परिजनों के लिए सूचना हासिल करना आसान हुआ. 

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पुलिस टीम से समन्वय कर जलने वाले गाड़ियों की सूची बनाई गई. उनके मालिकों का पता किया गया और परिजनों को सूचना दी गई. वहीं उदयपुर की लेक सिटी ट्रेवल्स की  बस में कुल कितने लोग थे, इसकी जानकारी जुटाई गई है. ट्रेवल्स वाले से सूची लेकर उनकी मैपिंग कराई गई और इसके बाद लापता लोगों की तलाश की गई. 

इस पूरी प्रक्रिया में चिकित्सा शिक्षा शासन सचिव अम्बरीष कुमार एसएमएस कॉलेज के प्रधानाचार्य दीपक माहेश्वरी और अस्पताल अधीक्षक सुशील भाटी ने मोर्चा संभाला था. कंट्रोल रूम की व्यवस्था मेडिकल एजुकेशन के एडिशनल डायरेक्टर नरेश गोयल ने संभाली थी.

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