खाटूश्यामजी की 95 साल की भक्त की मृत्यु होते ही परिवार में ऐसा छिड़ा विवाद कि पुलिस पहुंच गई

आनंदी देवी जयपुर जेपी फाटक अंडर पास इलाक़े में पिछले लगभग 35-40 साल से अकेली रहती थीं. उनके 5 बेटे बेटी हैं लेकिन उन्होंने अपना घर-परिवार त्याग कर अकेले रहने का फ़ैसला लिया था.

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आनंदी देवी पिछले 35-40 वर्षों से अकेले रहकर भजन करती थीं
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जयपुर में खाटूश्यामजी की एक परमभक्त की कल 13 अक्टूबर ने 95 साल की उम्र में संसार को अलविदा कह दिया. लेकिन आनंदी देवी की मृत्यु के बाद एक नाटकीय स्थिति पैदा हो गई. उनके परिवार के सदस्यों में उनके अंतिम संस्कार के स्थान को लेकर इतना ज़बरदस्त विवाद हो गया कि मामला पुलिस तक पहुंच गया और बजाज नगर थाना की पुलिस को बीच-बचाव के लिए आना पड़ा. पुलिस को आनंदी देवी के घर के आस-पास भारी जाप्ता भी लगाना पड़ा.

खाटूश्यामजी के भक्तों में था बड़ा नाम

बजाज नगर थाना की थानाधिकारी पूनम चौधरी ने बताया कि आनंदी देवी जयपुर जेपी फाटक अंडर पास इलाक़े में पिछले लगभग 35-40 साल से अकेली रहती थीं. उनके 5 बेटे बेटी हैं लेकिन उन्होंने अपना घर-परिवार त्याग कर अकेले रहने का फ़ैसला लिया था. कुछ लोगों ने उन्हें रहने के लिए एक-दो कमरे दे दिए थे. वह वहीं रहकर खाटूश्यामजी की भक्ति में समय व्यतीत करती थीं. वह खाटूश्याम बाबा के भजन गाती थीं और बड़ी संख्या में खाटूश्याम भक्तों को उनसे स्नेह था और वे उन्हें बाबा का परमभक्त मानते थे.

बजाज नगर थाने में तीन पक्षों ने शिकायतें दर्ज करवाईं
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अंतिम यात्रा निकालने को लेकर छिड़ा विवाद

आनंदी देवी ने 95 साल की उम्र में 13 अक्टूबर की रात सात-आठ बजे अंतिम सांस ली. लेकिन उनकी मौत के बाद उनके परिवार के लोगों में अंतिम संस्कार को लेकर विवाद छिड़ गया. अलग-अलग सदस्य अलग तरह की मांग करने लगे. परिवार का एक धड़ा चाहता था कि उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक घर में हो जिसे वह त्याग चुकी थीं. वहीं दूसरी ओर उनकी बेटियों समेत परिवार का एक गुट चाहता था कि उनकी अंतिम यात्रा उसी घर से हो जहां उनकी मृत्यु हुई थी. इसके अलावा उनकी मौत की ख़बर के बाद बड़ी संख्या में खाटूश्याम भक्त भी मौक़े पर एकत्रित हो गए. वो भी चाहते थे कि आनंदी जहां रहती थीं उसी घर से उनकी अंतिम यात्रा निकले.

पुलिस ने करवाया बीच-बचाव

इस विवाद की वजह से बात इतनी बढ़ गई कि साढ़े नौ बजे पुलिस को मौके पर आना पड़ा. परिवार के सदस्यों और खाटूश्याम भक्तों ने बजाज नगर थाने में तीन अलग-अलग शिकायत दर्ज करवाईं. इस विवाद की वजह से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में देरी हुई और आनंदी देवी का पार्थिव शरीर घर में ही रखा रहा. परिवार के लोगों का यह भी कहना था कि उनकी एक बेटी विदेश में रहती है और एक बेटी हैदराबाद में रहती है इसलिए उनके आने का इंतज़ार हो रहा है तथा उनके अंतिम संस्कार में समय लग रहा है. बाद में पुलिस की मौजूदगी में मामला शांत हुआ और सभी पक्षों ने मिलकर आनंदी देवी की अंतिम यात्रा के बारे में निर्णय लिया.

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