दिल्ली हाई कोर्ट बीकानेर हाउस विवाद की याचिका किया खारिज, जानें पूरा विवाद

Delhi High Court: एएजी शिव मंगल शर्मा ने राज्य सरकार की ओर से निचली अदालत का रुख किया और प्रस्तुत किया कि बीकानेर हाउस राजस्थान सरकार की संपत्ति है और इसका नोखा नगर पालिका से कोई संबंध नहीं है.

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बीकानेर हाउस

Bikaner House Dispute: दिल्ली हाई कोर्ट के माननीय मुख्य न्यायाधीश ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में नगर पालिका नोखा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जो नई दिल्ली में स्थित बीकानेर हाउस की स्वामित्व और क्षेत्राधिकार संबंधी विवादित दावों से जुड़ी थी. यह मामला नगर पालिका नोखा और M/S एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए एक मध्यस्थता विवाद से संबंधित है, जिसमें निर्णय एनवायरो कंपनी के पक्ष में गया था. निर्णय के प्रवर्तन के तहत बीकानेर हाउस को अटैच करने का निर्देश दिया गया था, क्योंकि नगर पालिका नोखा ने मध्यस्थता पुरस्कार का सम्मान नहीं किया.

'बीकानेर हाउस राजस्थान सरकार की संपत्ति'

राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिव मंगल शर्मा ने हस्तक्षेप करते हुए अदालत में तर्क दिया कि बीकानेर हाउस नगर पालिका नोखा की संपत्ति नहीं है और इसे गलत तरीके से मुकदमे में शामिल किया गया है. एएजी शिव मंगल शर्मा ने राज्य सरकार की ओर से निचली अदालत का रुख किया और प्रस्तुत किया कि बीकानेर हाउस राजस्थान सरकार की संपत्ति है और इसका नोखा नगर पालिका से कोई संबंध नहीं है.

इस प्रतिनिधित्व पर कार्य करते हुए, निचली अदालत ने बीकानेर हाउस के खिलाफ अटैचमेंट कार्यवाही पर रोक लगा दी और निर्देश दिया कि नगर पालिका नोखा मध्यस्थता पुरस्कार की संपूर्ण राशि अदालत में जमा करे, जो उसके अपीलीय कार्यवाही के परिणाम के अधीन होगी.

दिल्ली HC ने निचली अदालत के निष्कर्षों को रखा बरकरार 

आज दिल्ली हाई कोर्ट की सुनवाई में नगर पालिका नोखा का प्रतिनिधित्व वकील शशांक खुराना और दीपक वर्मा ने किया, जबकि राजस्थान राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने उपस्थिति दर्ज कराई. हाई कोर्ट ने निचली अदालत के निष्कर्षों को बरकरार रखा और देरी के आधार पर नगर पालिका नोखा की याचिका खारिज कर दी.

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इस याचिका के खारिज होने के बाद, नगर पालिका नोखा अब अदालत में पूरी मध्यस्थता पुरस्कार राशि जमा करने के लिए बाध्य है. सूत्रों के अनुसार नगर पालिका नोखा ने पहले ही यह राशि जमा कर दी है, जो अगर वे इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देते हैं, तो एम/एस एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को जल्द ही जारी की जा सकती है.

यह निर्णय न केवल बीकानेर हाउस की स्वामित्व स्थिति को स्पष्ट करता है, बल्कि यह राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण जीत भी है, जो यह सुनिश्चित करता है कि यह संपत्ति मध्यस्थता कार्यवाही से उत्पन्न किसी भी विवाद से सुरक्षित रहे.

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