Rajasthan Politics: धारा 163 लगने के बाद बावजूद बासनपीर जाएंगे हरीश चौधरी, कुछ ही देर में रवाना होगा काफिला

बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. बासनपीर में धारा 163 लागू की गई है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे

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बासनपीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम.

Rajasthan News: राजस्थान की तपती जमीन पर एक बार फिर लोकतंत्र, समरसता और सामाजिक सौहार्द की गूंज सुनाई देने वाली है. कुछ ही पलों में बायतु विधायक हरीश चौधरी का काफिला बाड़मेर के सर्किट हाउस से रवाना होगा. उनकी अगुवाई में सैकड़ों वाहनों का यह विशाल काफिला जैसलमेर जिले के ऐतिहासिक और सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक गांव बासनपीर की ओर बढ़ेगा.

'गांधी रामधुन बजाने का कार्यक्रम'

बासनपीर में आज सर्वधर्म प्रार्थना और गांधी रामधुन बजाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है, जो न केवल सांप्रदायिक एकता का संदेश देगा, बल्कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भी एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप माना जा रहा है. हरीश चौधरी के आवाहन पर उनके हजारों समर्थक जुटने लगे हैं. इस आयोजन में स्थानीय सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, पूर्व विधायक मदन प्रजापत और पदमाराम मेघवाल सहित कई कांग्रेसी नेता भी उपस्थित रहेंगे जो इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे.

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प्रशासन ने बासनपीर में लगाई धारा 163

बाड़मेर जैसलमेर सीमा पर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. बासनपीर में धारा 163 लागू की गई है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हो सके और किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो. प्रशासन ने काफिले के लिए सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की है. इस यात्रा को सिर्फ एक राजनैतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखना सीमित दृष्टिकोण होगा. यह एक सामाजिक संदेश, एक सांस्कृतिक पुनर्स्मरण और एकता के नए अध्याय का प्रारंभ भी है. हरीश चौधरी ने इसे 'मोहब्बत का पैगाम' नाम दिया है.

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बासनपीर में ही तोड़ी गई थीं छतरियां

जैसलमेर जिले के बासनपीर जूनी गांव में 10 जुलाई को पुरानी छतरियों के पुनर्निर्माण और मरम्मत का काम चल रहा था. इसी दौरान बासनपीर जूनी ग्राम आबादी की तरफ से सैकड़ों की संख्या में पुरुष, महिलाएं और बच्चे इकट्ठा हो गए. उन्होंने जोर-जोर से चिल्लाते हुए छतरियों के निर्माण कार्य का विरोध प्रदर्शन किया. भीड़ ने विधि विरुद्ध जमावड़ा करते हुए पुलिस जाब्ते, प्रशासनिक कर्मचारियों और अधिकारियों पर पत्थरबाजी की. इतना ही नहीं, उन्होंने घेरकर पत्थरों और लाठियों से मारपीट भी की. इससे गांव में माहौल तनावपूर्ण हो गया था. इस घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया. जैसलमेर पुलिस ने गहन जांच के बाद मुख्य साजिशकर्ता हासमखां सहित कुल 23 आरोपियों को हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

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1835 में किया गया था छतरी का निर्माण

इन छतरियां का निर्माण ईस्वी सन 1835 में तत्कालीन महारावल गज सिंह द्वारा करवाया गया था. ईस्वी सन 1828 वीर झांझर रामचंद्र सोडा ने जैसलमेर और बीकानेर के बीच लड़ेगा युद्ध में जैसलमेर की तरफ से भागीदारी निभाते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे, उनकी याद में यह छतरी बनवाई गई थी. वही हदूद जी पालीवाल ने गांव में तालाब खुदवाया, इसलिए उनकी भी छतरी बनवाई थी.

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