रणथंभौर टाइगर रिजर्व को लेकर डीएम का बड़ा आदेश, अभयारण्य के आसपास लाउडस्पीकर-डीजे और लेजर लाइट पर प्रतिबंध

आदेश में कहा गया है कि अभयारण्य के आसपास के गांवों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में शादियों, पार्टियों तथा अन्य कार्यक्रमों के दौरान अत्यधिक ध्वनि ‘‘वन क्षेत्र में रहने वाले वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है.

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Ranthambore Tiger Reserve: सवाई माधोपुर जिला प्रशासन ने रणथंभौर बाघ अभयारण्य के आसपास लाउडस्पीकर, डीजे सिस्टम और लेजर लाइट के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है. एक आधिकारिक आदेश में सोमवार को यह जानकारी दी गई. आदेश में कहा गया कि प्रशासन ने यह कदम वन्यजीवों पर बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए उठाया है. जिलाधिकारी कानाराम द्वारा जारी औपचारिक आदेश में कहा गया है कि अभयारण्य के आसपास के गांवों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में शादियों, पार्टियों तथा अन्य कार्यक्रमों के दौरान अत्यधिक ध्वनि ‘‘वन क्षेत्र में रहने वाले वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है.''

इस माह की शुरुआत में जारी आदेश के अनुसार रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक बाघ अभयारण्य के एक किलोमीटर के दायरे में लाउडस्पीकर, डीजे और अन्य ध्वनि-वर्धक उपकरणों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध है.

दुर्लभ प्रजातियों की सुरक्षा

इसमें कहा गया कि सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक इन उपकरणों का उपयोग केवल अनुमेय ध्वनि सीमा के भीतर ही किया जा सकेगा. इसके अलावा, एक किलोमीटर के दायरे में बिना पूर्व अनुमति के लेजर लाइट के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है. आदेश में कहा गया, ‘‘रणथंभौर कई दुर्लभ प्रजातियों का ठिकाना है और उनके संरक्षण के लिए शांत वातावरण बनाए रखना आवश्यक है. आसपास के गांवों और होटल में डीजे सिस्टम से निकलने वाली तेज आवाज वन्यजीवों के लिए हानिकारक साबित हो रही है.''

जिला प्रशासन ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 और राजस्थान ध्वनि नियंत्रण अधिनियम, 1963 के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए इन प्रतिबंधों को लागू किया है.

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आदेश नहीं मानने पर होगी कानूनी कार्रवाई

आदेश में कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन करने पर ध्वनि या लेजर उपकरणों को जब्त किया जाएगा और स्थल मालिकों तथा संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. पुलिस और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.

प्रकृति और पर्यावरण प्रेमी लंबे समय से रणथंभौर बाघ अभयारण्य के आसपास पर्यटन और व्यावसायिक गतिविधियों से बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त करते रहे हैं.

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