Barmer News: जिला कलेक्टर टीना डाबी द्वारा 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान' के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण अभियान "मरू उड़ान" का पहला चरण शुक्रवार जिला टाउन हॉल में आयोजित हुए कार्यक्रम के पूर्ण हुआ. इस कार्यक्रम में बाड़मेर जिले भर सैकड़ो महिलाओं ने भाग लिया. कार्यक्रम में मनो चिकित्सक ओ.पी डूडी सृजन संस्था से इंदु तोमर एक्शन एड से भाग्यश्री किरण वेदांत से ईशा राव RSWML से अनिता छंगाणी ने महिलाओं को मानसिक शारीरिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने को लेकर कार्यशालाओं के जरिए संवाद किया.
मरू उड़ान का पहला चरण संपन्न
इस दौरान कलेक्टर टीना डाबी ने बताया कि यह कार्यक्रम का पहला चरण था. इसके तहत जिले के 12 ब्लॉक में कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिसमें महिलाओं के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. उनकी समस्याओं को सुनने के बाद उनके समाधान के लिए सलाह दी गई. इसके साथ ही इसका पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. अब इसके बाद 1 दिसंबर से इसका दूसरा चरण शुरू होगा, जो पूरे महीने चलेगा. इस कार्यक्रम के जरिए महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर जागरूकता, महिलाओं और किशोरियों को ड्राइविंग प्रशिक्षण के साथ ही कौशल प्रशिक्षण देने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी.
पहले दौर में महिलाओं का जबरदस्त रुझान देखने को मिला. इससे उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के जरिए जिले के सरहदी इलाके में रहने वाली महिलाओं और बालिकाओं के जीवन में काफी सुधार आएगा. उन्होंने बताया कि इस अभियान में महिलाओं को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करने को लेकर काम किया गया.
चार सत्रों में विषय विषेषज्ञों ने महिलाओं से किया संवाद
इन कार्यक्रमों में कुल 50 सत्र आयोजित हुए, जिनमें महिलाओं और बालिकाओं के साथ विषय विशेषज्ञों ने संवाद किया. इनमें महिलाएं मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, वित्तीय प्रबंधन, कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण और सरकारी याजनाओं एवं करियर काउंसलिंग पर एक्सपर्ट से रूबरू हुई. इन सत्रों में मानसिक स्वास्थ्य पर डॉ. ओ.पी. डूडी, एडवोकेट इन्दू तोमर, शारीरिक स्वास्थ्य पर डॉ. कविता, डॉ. अनिता, वित्तीय प्रबंधन पर भारतीय डाक विभाग के प्रतिनिधि, कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण पर राजीविका के दिनेश सैन, गीता दषाना, केयर्न के गणेष कुमार, सरकारी याजनाओं पर लक्ष्मी, सरिता ने जानकारी प्रदान की.
मरू उड़ान कार्यक्रम में आई महिलाएं बनेंगी ब्रांड एम्बेसडर
कलक्टर टीना डाबी ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि महिला सशक्तीकरण के लिए हम एक चेन सिस्टम बनाएं, जिसके तहत हम महिलाओं को प्रशिक्षित और प्रेरित करें. ताकि वे अपने सम्पर्क में आने वाली महिलाओं को मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य, वित्तीय प्रबंधन, कौशल विकास के बारे में बता सकें. इस तरह शिविर में आई महिलाएं हमारी ब्रांड एम्बेसडर बनकर हमारा काम करेंगी.
शिविरों के प्रशिक्षण में बनीं रहे एकरूपता
जिला कलक्टर ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर आयोजित संवाद कार्यक्रमों में एकरूपता बनी रहे. उनकी गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं हो इसलिए जिला प्रशासन के द्वारा जिला स्तर पर ही अलग-अलग विषयों की टीमों का गठन किया गया. इन टीमों के एक्सपर्ट का प्रशिक्षण करवा गया. इसके बाद इनसे ही ब्लॉक स्तर पर हुए संवाद कार्यक्रमों में प्रशिक्षण और संवाद करवाया गया। इसका परिणाम यह रहा है कि ब्लॉक स्तर पर हमें एक्सपर्ट ढूढंने की जरूरत नहीं पड़ी, जिसकी वजह से कार्यक्रमों में गुणवत्ता बनीं रहीं।
स्वास्थ्य जांच में महिलाओं में मिली कमी
इन शिविरों में जिन महिलाओं की स्वास्थ्य जांच की गई, उनमें हिमोग्लोबीन, आयरन और कैल्शियम की कमी पाई गई. उपस्थित डॉक्टरों की टीमों ने पोषणयुक्त खाना खाने, नियमित जांच कराने और नियमित रूप से कसरत करने की सलाह दी.
मानसिक रूप से होंगी स्ट्रॉंग तो रूकेंगी आत्महत्याएं
डॉ. ओ.पी. डूडी ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बताया कि महिलाएं घरेलू समस्याओं की वजह से मानसिक अवसाद में आ जाती हैं. इस तरह बालिकाओं ने बताया कि वे परीक्षाओं की वजह से डिप्रेशन में आती हैं. एक्सपर्ट न उन्हें हर हाल में खुश रहने और मानसिक रूप से सशक्त रहने की सलाह दी.
वित्तीय रूप से मजबूती है जरूरी
एक्सपर्ट ने बताया कि इन शिविरों में महिलाओं ने बताया कि वो अपनी बचत को अपने पास ही रखती हैं,उन्हें निवेश के बारे में कम ही जानकारी थी. ऐसे में महिलाओं को समझाया गया कि अगर वो अपने पास उपलब्ध धनराशि को निवेश करेंगी, तो उसमें वृद्धि भी होगी और आनेवाले समय में उनके काम भी आएगी. इसके लिए उन्हें भारतीय डाक विभाग की निवेश योजनाओं सहित अन्य के बारे में भी जानकारी दी गई.
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