ड्रोन से बारिश का टेस्ट फिर से टला... उड़ान के बाद आई दिक्कत, भीड़ की वजह से टूटा GPS सिग्नल

जेन एक्स एआई कंपनी के अधिकारी ने यह जानकारी दी कि उन्होंने ड्रोन को उड़ाई थी. उन्हें 400 मीटर तक उड़ान भड़ने की इजाजत मिली थी. लेकिन टेस्टिंग पूरी नहीं हो पाई.

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ड्रोन बारिश की टेस्टिंग

Rajasthan Drone Rain: राजस्थान में देश का पहला ड्रोन बारिश कराने की टेस्टिंग मंगलवार (12 अगस्त) को किया गया. हालांकि यह टेस्टिंग एक बार फिर टाला गया है. ड्रोन के जरिए कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) करायी जा रही थी, जिसे देखने के लिए यहां जनसैलाब उमड़ पड़ा. साथ ही यहां कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी पहुंचे थे. इस वजह से भीड़ और बेकाबू हो गई. वहीं भीड़ की वजह से क्लाउड सीडिंग का टेस्ट पूरा नहीं हो सका है. बारिश करवाने वाली कंपनी जेन एक्स एआई ने बताया कि अब हमें फिर से एक हफ्ते के अंदर परमिशन लेनी पड़ेगी. इसके बाद फिर से टेस्ट करेंगे.

भीड़ की वजह से GPS में आई दिक्कत

जेन एक्स एआई कंपनी के अधिकारी ने यह जानकारी दी कि उन्होंने ड्रोन को उड़ाई थी. उन्हें 400 मीटर तक उड़ान भड़ने की इजाजत मिली थी. लेकिन उड़ान भड़ने के बाद उनका GPS सिस्टम काम नहीं कर रहा था. उन्होंने बताया की यहां इतनी भीड़ उमड़ पड़ी है और अलग-अलग मोबाइल सिंग्नल होने की वजह से GPS का कनेक्टन टूट जा रहा है. भीड़ में सभी के पास मोबाइल और सिग्नल से काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि वह एक हफ्ते के अंदर फिर से परमिशन लेंगे और इसकी टेस्टिंग करेंगे.

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GenX AI के अधिकारी

बता दें इस परीक्षण के लिए डीजीसीए, मौसम विभाग, जिला प्रशासन और कृषि विभाग की स्वीकृति दी गई थी. जिसके बाद  जयपुर जिले के रामगढ़ बांध क्षेत्र में इसकी टेस्टिंग की जा रही थी.

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बादल में गैस छोड़ने के बाद होती क्लाउड सीडिंग

पायलट प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका और बेंगलूरु की टेक्नोलॉजी कंपनी जेन एक्स एआई कृषि विभाग के साथ मिलकर यह प्रयोग कर रही है. क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायन ड्रोन, हेलिकॉप्टर या प्लेन से बादलों में छोड़े जाते हैं. ये रसायन पानी की सूक्ष्म बूंदों को आकर्षित कर उन्हें भारी बनाते हैं जिससे वे बारिश के रूप में गिरते हैं. हालांकि, इसके लिए बादलों में पर्याप्त नमी होना जरूरी है.

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