अंता विधानसभा उपचुनाव: नशे में धुत होकर गलती से दे दिया वोट, बहिष्कार की नहीं थी जानकारी!

अंता विधानसभा उपचुनाव में सांखली गांव के 738 मतदाताओं ने विकास कार्य न होने पर मतदान का बहिष्कार किया। ग्रामीणों के एकजुट संकल्प के बावजूद, शराब के नशे में धुत एक वोटर ने शाम 4 बजे गलती से वोट डाल दिया, जिससे बहिष्कार टूट गया.

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शराब के नशे में एक वोटर ने डाल दिया पर्चा, सांखली गांव का बहिष्कार क्यों हुआ फेल?
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान की अंता विधानसभा उपचुनाव (Anta By Election) में मंगलवार को सीमली ग्राम पंचायत के सांकली गांव (Sankali Village) में एक नाटकीय घटनाक्रम सामने आया. यहां के ग्रामीणों ने बुनियादी विकास कार्य नहीं होने के कारण एकजुट होकर मतदान का पूर्ण बहिष्कार (Boycott Voting) कर दिया. गांव में कुल 738 मतदाता थे, लेकिन ग्रामीणों के सामूहिक संकल्प के बावजूद, शाम होते-होते शराब के नशे में धुत एक मतदाता ने गलती से अपना वोट डाल दिया, जिससे बहिष्कार का संकल्प अधूरा रह गया. इस घटना ने एक तरफ जहां गांव की समस्याओं की गंभीरता को उजागर किया है, वहीं दूसरी तरफ शराब के नशे में मतदान करने वाले इस अकेले वोटर के कारण यह बहिष्कार चर्चा का विषय बन गया है.

ग्रामीणों ने क्यों किया था वोटिंग का बहिष्कार?

सांकली गांव के निवासियों की नाराजगी दशकों पुरानी है. ग्रामीण लंबे समय से सड़क, नाली, खरंजा (कच्ची सड़क) और सबसे गंभीर रूप से मुक्तिधाम (श्मशान घाट) तक जाने के लिए रास्ते की मांग कर रहे हैं. गांव की आबादी वाले रास्ते से होकर पक्का रास्ता है, लेकिन नालियां न होने के कारण बारहों महीने गंदा पानी बहता रहता है. मुक्तिधाम तक एक किलोमीटर दूर तक जाने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं है. बारिश के मौसम में कीचड़ और पानी भरने के कारण ग्रामीणों को अर्थी लेकर पैदल चलने में भी भारी परेशानी होती है. मुक्तिधाम में टीनशेड तक नहीं है. ग्रामीण खुले आसमान के नीचे या तिरपाल लगाकर शवों का अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं.

लिखित में समस्या बताई, फिर भी नहीं हुआ समाधान

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ज्ञापन सौंपे, लेकिन हर बार सिर्फ मौखिक आश्वासन ही मिला. धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. इस बार, मतदान से एक पखवाड़ा पहले ही बारां उपखंड अधिकारी को लिखित में सूचना दे दी गई थी कि यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे मतदान का बहिष्कार करेंगे. बावजूद इसके, प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

नरेश मीणा 15 मिनट धरने पर बैठे, फिर चले गए

मंगलवार को जब मतदान शुरू हुआ तो भाग संख्या 219 (सांकली) के 738 मतदाताओं में से कोई भी वोट डालने नहीं पहुंचा. बहिष्कार की सूचना मिलते ही क्षेत्र के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया. लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे. उनकी स्पष्ट मांग थी कि जिला कलेक्टर मौके पर आएं और उन्हें लिखित और ठोस समाधान का आश्वासन दें. हालांकि, अधिकारियों ने चुनाव आचार संहिता का हवाला देते हुए कलेक्टर को मौके पर बुलाने में असमर्थता जताई. ग्रामीणों के समर्थन में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा भी वहां पहुंचे और धरने पर बैठ गए. करीब 15 मिनट इंतजार के बाद जब कलेक्टर नहीं आए तो मीणा वहां से चले गए.

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नशे में पड़ा एक 'बहिष्कार-भंजक' वोट

पूरे दिन के विरोध और प्रशासनिक गतिरोध के बाद, शाम को करीब 4 बजे एक ऐसा घटनाक्रम हुआ, जिसने बहिष्कार की गंभीरता को हल्का कर दिया. ग्रामीण अभिषेक मीणा ने बताया कि शाम 4 बजकर 9 मिनट पर एक मतदाता, जिसका नाम बिरधीलाल सेन बताया गया है, मतदान केंद्र पर पहुंचा और उसने अपना मताधिकार का उपयोग किया. बिरधीलाल सेन की उम्र करीब 35 वर्ष है और वह चार-पांच वर्षों से गांव छोड़कर बारां जिला मुख्यालय पर रह रहा है. ग्रामीणों के अनुसार, बिरधीलाल शराब के नशे में था और उसे यह मालूम ही नहीं था कि गांव वालों ने सामूहिक रूप से मतदान का बहिष्कार कर रखा है. इस अकेले वोट ने सांकली गांव के 738 मतदाताओं के एकजुट संकल्प को औपचारिक रूप से खंडित कर दिया.

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