Rajasthan News: डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गाँव में बारिश की भविष्यवाणी को लेकर सदियों से चली आ रही अनूठी हरिया परंपरा का निर्वहन करते हुए अगले साल वर्षा योग का पूर्वानुमान लगाया गया. परंपरा के तहत आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विन चार माह के नाम पानी से भरे मिट्टी के घडों पर लिखकर लकड़ी के बने टी आकार के हरिया पर फोडकर आगामी वर्ष के मानसून का आंकलन किया जाता है. हरिया परंपरा देखने व बारिश की भविष्यवाणी सुनने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते है.
कलश पर लिखते हैं महीनों के नाम
दरअसल, आदिवासी बहुल जिला डूंगरपुर में रक्षाबंधन पर भीलूड़ा में हरिया मेले में हरिया रस्म के तहत रघुनाथ मंदिर व लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा अर्चना के बाद परम्परागत रस्म की शुरुआत हुई. अंग्रेजी वर्णमाला के टी आकार की लकड़ी हरिया की पूजा- अर्चना के बाद रघुनाथजी मंदिर परिसर में गाढ़ा गया. रघुनाथ मंदिर चौक में गढ़े लकडी के टी आकार के खुंटे हरिया की पूजा के बाद युवतियों ने रक्षासूत्र बांधें. इसके बाद अगले वर्ष के मौसम की भविष्यवाणी जानने की परंपरा हुई, जिसमें अलग अलग समाजों के चार प्रतिनिधि मिट्टी के कलशों में तालाब से पानी भरकर लाए.
मिट्टी के कलशों पर वर्षा के मौसम के आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद व अश्विन चारों माह के नाम लिखे हुए थे. कलशों को हरिया की लकड़ी पर फोड़ा और टुकड़ों को इकठ्ठा कर देखा गया कि कलश पर लिखे महीनों के नामों के कितने अक्षर सुरक्षित हैं. कितने टूट चुके है. माह के प्रत्येक अक्षर को दस दिन का मानकर देखा गया कि अगले वर्ष का वर्षा योग क्या है, जितने शब्द टूटे हुए होते हैं. उतने दिन वर्षा योग मानकर आगामी वर्ष के वर्षा योग की घोषणा की गई.
अगले साल ऐसा रहेगा मानसून
हालिया परम्परा के अनुसार, आगामी वर्ष के वर्षा योग का आंकलन करते हुए बताया कि आषाढ में 20 दिन बरसात रहेगी. 10 दिनों में सूखा होगा. श्रावण के पहले 10 दिन वर्षा और 20 दिन सूखा, भाद्रपद के पहले 10 दिन वर्षा और बाद में 20 दिन सूखा और अश्विन माह में पहले 20 दिन बरसात और बाकी 10 दिन सूखे की संभावना जताई गई है.
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