डूंगरपुर: पिता के सपने को पूरा करने का बेटे ने उठाया जिम्मा, 2 करोड़ रुपये से गांव में बनवाएगा स्कूल

बोडीगामा छोटा का स्कूल 1984 में प्राथमिक से उच्च प्राथमिक, 2008 में माध्यमिक और 2014 में उच्च माध्यमिक स्तर का हो गया. हालांकि, विद्यालय में बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं है. अब मनोज पांडे ने इस विद्यालय का कायाल्प करने का जिम्मा उठाया है.

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Dungarpur Bodigama Chhota School: राजस्थान के डूंगरपुर में शिक्षा के क्षेत्र में पिता के सपने साकार करने के लिए बेटे ने बीड़ा उठाया है. जिले के बोडीगामा के मनोज पांडे ने दो करोड़ रुपये से अधिक राशि में गांव के पुराने और जर्जर सरकारी स्कूल का कायाकल्प करने का प्रस्ताव भेजा सरकार को भेजा था. मनोज ने अपने पिता लालजी पांडे के सपने को पूरा करने के लिए ऐसी पहल की. फिलहाल सरकार ने मनोज पांडे के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. 

मनोड पांडे के पिता 10 साल रहे सरपंच

मनोज पांडे के पिता लालजी पांडे बोड़ीगामा छोटा गांव के 10 साल तक निर्विरोध सरपंच रहे. सरपंच रहने के लालजी ने गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्कूल खुलवाया. मनोज पांडे ने बताया कि उनका परिवार मूल रूप से बोड़ीगामा छोटा गांव का रहने वाला है. गांव में बड़ा सरकारी स्कूल न होने कारण उनके पिता को इंदौर में जाकर उच्च शिक्षा हासिल की.

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इसके बाद गांव में आकर 5 दशक पहले उनके पिता लालजी पांडे 10 साल सरपंच रहे. मनोज पांडे अभी देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में वेस्ट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अब शिक्षा को लेकर पिता के सपने को पूरा करने के लिए बेटे ने गांव के सरकारी स्कूल का कायाकल्प करने की जिम्मेदारी उठाई है. उन्होंने राज्य सरकार की भामाशाह योजना के तहत गांव के स्कूल को नए सिरे से बनाने सरकार को प्रस्ताव भेजा था.

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राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक पूनमप्रसाद सागर ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. आदेश में भामाशाह योजना के तहत स्कूल का नाम भी बदलने का जिक्र किया गया है. अब उसका नाम लालजी पंड्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल होगा.

लाइब्रेरी और कंप्यूटर रूम भी बनेंगे

बोड़ीगामा छोटा गांव के पुराने और जर्जर स्कूल की जगह 2 करोड़ 10 लाख रुपए में ग्राउंड फ्लोर पर 7 क्लास रूम, 1 बड़ा हॉल, बॉयज और गर्ल्स के लिए अलग अलग टॉयलेट, डबल स्टोरी में ऊपर की ओर 2 कमरे, स्टाफ रूम, लाइब्रेरी, कंप्यूटर रूम बनाए जाएंगे. इसके अलावा स्कूल मैदान भी विकसित किया जाएगा. स्कूल को नए सिरे से बनाने में 2 साल लगेंगे. बोडीगामा छोटा का स्कूल 1984 में प्राथमिक से उच्च प्राथमिक, 2008 में माध्यमिक और 2014 में उच्च माध्यमिक स्तर का हो गया. हालांकि विद्यालय की जर्जर स्थिति के चलते विद्यार्थियों को बैठने की व्यवस्था नहीं है.  जर्जर बिल्डिंग देखकर हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है. 

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