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राजस्थान का वो सरकारी लॉ कॉलेज जहाँ पढ़ते हैं छात्र, मगर पढ़ाने वाला कोई नहीं, और अब परीक्षा सिर पर

राजस्थान के पिछड़े जिले डूंगरपुर में एक लॉ कॉलेज शुरू हुआ और छात्र एडमिशन भी ले चुके हैं. मगर कॉलेज में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है.

राजस्थान का वो सरकारी लॉ कॉलेज जहाँ पढ़ते हैं छात्र, मगर पढ़ाने वाला कोई नहीं, और अब परीक्षा सिर पर

Dungarpur Law College: डूंगरपुर जिले में कानून की पढ़ाई में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए डूंगरपुर लॉ कॉलेज की स्थापना करके राज्य सरकार भूल गई है. तत्कालीन सरकार द्वारा घोषणा के बाद यहां अस्थाई भवन में लॉ कॉलेज शुरू किया गया लेकिन व्याख्याता नहीं होने से एडमिशन के बाद अब लॉ स्टूडेंट्स अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. कुछ दिनों बाद परीक्षा होने वाली है लेकिन व्याख्याता नहीं होने से छात्र सिलेबस पूरा नहीं कर पाए हैं. 

प्रदेश के जनजाति बहुल डूंगरपुर जिले में कांग्रेस सरकार ने योजनाओं और घोषणा का पिटारा खोल के रख दिया था. साल 2020 में की गई डूंगरपुर लॉ कॉलेज की घोषणा से पिछड़े क्षेत्र के होनहारों के लिए कानून की शिक्षा की राह खुली थी. लेकिन इसे सरकारी कामकाज की पेचीदगियां कहें या खोखली घोषणा जिसकी वजह से अब तक कॉलेज शुरू नहीं हो सका है. इसकी एकमात्र वजह है लॉ कॉलेज के लिए फैकल्टी की कमी.

21 पद स्वीकृत, 4 को डेप्युटेशन पर लगाया, वो भी लौटे 

लॉ कॉलेज के लिए साल 2020 में कांग्रेस सरकार ने घोषणा की थी. भवन के लिए शहर से लगती गुमानपुरा गांव में 12 बीघा जमीन का आवंटन कर दिया गया उसके बाद भी सरकार ने 6 करोड़ रुपए  खर्च कर भवन निर्माण का काम भी शुरू कर दिया.पहला सत्र शुरू भी हो गया और इसके लिए वीकेबी गर्ल्स कॉलेज के भवन में ही पढ़ाई का इंतजाम किया गया. कॉलेज संचालन के लिए एक प्राचार्य और 7 व्याख्याता समेत कुल 21 पद स्वीकृत किए गए हैं. 

अब हालत यह हैं कि सत्र शुरू करने के लिए वर्तमान सरकार ने 4 व्याख्याता डेपुटेशन पर भेजे थे जो प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने मूल कॉलेज में वापस लौट गए. ऐसे में कॉलेज में स्टाफ या व्याख्याता के नाम पर तमाम पद खाली हैं.

आने वाली परीक्षाओं को लेकर छात्र परेशान 

कानून की जटिल किताबों पर रोशनी डालने के लिए व्याख्याता नहीं होने से आने वाली परीक्षा पहले सत्र के 60 छात्रों के लिए बड़ा तनाव का कारण बनी हुई है.कानून की पढ़ाई के लिए कॉलेज में व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं होने से इसका असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. इस शैक्षणिक सत्र के बाद दूसरे सत्र में नए एडमिशन होंगे. ऐसे में छात्रों की संख्या बढ़ जाएगी.

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