Rajasthan: 50 साल का इंतजार खत्म, डूंगरपुर में 6 कच्ची बस्तियों को मिली पहचान, बदलेंगी हजारों जिंदगियां

Rajasthan News: डूंगरपुर जिले में नगर परिषद ने 6 कच्ची बस्तियों को डी-नोटिफाई कर दिया है. जिसके बाद यहां रहने वाले हजारों लोगों के चेहरों पर छाई चिंता के बादल छंट गए हैं. इसके साथ ही अब यहां रहने वाले लोग विभिन्न सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( Meta AI)

 Dungarpur News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में नगर परिषद डूंगरपुर द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया है. शहर की 6 कच्ची बस्तियों को 50 साल बाद डी-नोटिफाई किया गया है. शहर की पातेला अंबामाता, बांसद्वारा कॉलोनी, कालिका माता घाटी, रामपुर, नवाडेरा और विजयगंज कॉलोनी के लिए डी-नोटिफाई आदेश जारी किए गए हैं. इन आदेशों के तहत, अब इन कॉलोनी और मोहल्ले में रहने वाले सभी लोग नगर परिषद और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे.

इन बस्तियों के पास नहीं थे जमीन के पट्टे 

तकनीकी रूप से लोगों के पास अपने मकानों या ज़मीनों के पट्टे नहीं थे. इस समस्या को लेकर लंबे समय तक संघर्ष चला. इसे देखते हुए नगर परिषद के भाजपा बोर्ड ने इसे प्राथमिकता से लिया और डी नोटिफिकेशन सिस्टम शुरू किया. इसके लिए जयपुर स्वायत्त शासन विभाग कार्यालय से संपर्क किया गया. इसके बाद सभापति अमृत कलासुआ और नगर परिषद अधिकारियों की टीम जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिली. इसके बाद उन्होंने स्वायत्त शासन मंत्री झाबरमल खर्रा से बात कर समस्या के समाधान के निर्देश दिए.

 40 पार्षदों से मिली सहमति

मंत्री खर्रा ने तकनीकी समस्या के समाधान का रास्ता बताया. इसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने 6 कच्ची बस्तियों का सर्वे कर रिपोर्ट जयपुर मुख्यालय भेजी.रिपोर्ट के आधार पर सभी पार्षदों की सहमति के बाद नगर परिषद की साधारण सभा में डी-नोटिफिकेशन का प्रस्ताव लिया गया. जिस पर शहर के 40 पार्षदों ने सर्वसम्मति से सहमति जताई. इसके बाद आयुक्त प्रकाश धूड़ी ने कार्रवाई करते हुए आज डी-नोटिफिकेशन की घोषणा कर दी.


6 कच्ची बस्ती के लोग भू उपयोग परिवर्तन का लाभ ले सकेंगे

शहर की इन 6 कच्ची बस्तियों में रहने वाले ज्यादातर लोग आज़ादी से पहले से ही रह रहे हैं। वे अपनी पुश्तैनी ज़मीन के दस्तावेज़ों के आधार पर पट्टे के लिए आवेदन कर सकेंगे. इसके अलावा, इन मलिन बस्तियों को नियमानुसार आवासीय से व्यावसायिक में भू-उपयोग परिवर्तन का लाभ मिलेगा.जिससे छोटे व्यापारियों को इसका लाभ मिल सकेगा. इसके अलावा, अब नए बिजली कनेक्शन, पेयजल कनेक्शन के लिए एनओसी की चिंता करने की ज़रूरत नहीं होगी. उनके पट्टे के आधार पर ही सीधे एनओसी जारी की जाएगी.

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