रणथम्भौर दुर्ग में स्थित विश्व प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर में तीन दिवसीय लक्खी मेले का आज शुभारंभ हो गया. त्रिनेत्र गणेश मंदिर विश्व का इकलौता मंदिर है, जहां गजानन अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान है. त्रिनेत्र गणेश पर राजस्थान के साथ-साथ अन्य राज्यों के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है. आज से शुरू हुए तीन दिवसीय लक्खी मेले में 8 से 10 लाख श्रद्धालु के पहुंचने की बात कही जा रही है. इसे लेकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस एंव प्रशासन की टीमें मुस्तैद है.
मालूम हो कि राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर अरावली पर्वत मालाओं से घिरे रणथम्भौर दुर्ग में विश्व प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर स्थित है. जहाँ हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी त्रिनेत्र गणेश का तीन दिवसीय लक्खी मेला पूरे हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है.
14 किमी पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं भक्त
मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्जनों भंडारे लगाए जाने की तैयारी की जा रही है. पग-पग पर भंडारे लगाने के लिए भंडारा संचालक तैयारी में जुटे हुए हैं. लगभग 14 किलोमीटर का सफर श्रद्धालु पैदल तय करते हैं.
दुनिया का इकलौता मंदिर जहां गजानन पूरे परिवार के साथ विराजमान
यह मंदिर पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां गणेश जी अपने पूर्ण परिवार पत्नी रिद्धि और सिद्धि और दो पुत्र शुभ और लाभ के साथ विराजमान है. इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. इसका निर्माण दसवीं सदी में रणथंभौर के राजा हम्मीर देव ने करवाया था. युद्ध के दौरान राजा के सपने में गणेश जी आए और उन्हें आशीर्वाद दिया. राजा की युद्ध में विजय हुई और उन्होंने किले में मंदिर का निर्माण करवाया.
कहा जाता है कि 1299 में राजा हम्मीर और अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध चला. जब युद्ध शुरू हुआ तो प्रजा और सेना की जरूरत को देखते हुए ढेर सारा खाद्यान्न और जरूरत की वस्तुओं को सुरक्षित रखवा लिया था. पर युद्ध लंबे अरसे तक चलने की वजह से हर चीज की तंगी होने लगी. तब राजा हमीर के सपने में भगवान गणेश ने आकर आश्वासन दिया कि उनकी विपत्ति जल्द ही दूर हो जाएगी. तब राजा हमीर द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।
मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की व्यवस्था के मद्दे नजर चार दर्जन से अधिक रोडवेज बसें मेले हेतु लगाई गई है. आसपास के सभी जिलों से पर्याप्त पुलिस बल बुलवाया गया है.
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