
डीडवाना जिले के मौलासर कस्बे से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो बताती है समाज अब भी जिंदा है. यहां से सामाजिकता और मानवता की ख़ूबसूरत मिसाल सामने आई है. जहां क़स्बे के लोगों ने मिलकर तीन ग़रीब बेटियों की शादी करवाई, कन्यादान किया, तमाम व्यवस्थाएं की, बारातियों का स्वागत किया. इसकी हर तरफ सराहना हो रही है. बेटियों के पिता की 6 साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, घर का इकलौता कमाने वाला दुनिया से गया तो परिवार पर आर्थिक संकट आ गया. जिसके बाद बेटियों के हाथ पीले करना भी मुश्किल हो गया था.
लेकिन समाज ने तीन बहनों से धूमधाम से शादी करवाई. बताया गया कि मौलासर निवासी नाहर सिंह भोपा की 6 साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी. भोपा की तीन बेटियां धापुड़ी, किरण और सरोज हैं, जिनका विवाह जोधपुर के बावड़ी गांव निवासी चेनाराम, भोमाराम और लकी के साथ हुआ है.
कुछ दिनों पहले तक इन बेटियों के हाथ पीले करना भी मुश्किल लग रहा था. मगर मौलासर कस्बे के लोगों की सराहनीय पहल से आज यह बेटियां खुशी-खुशी अपने ससुराल विदा हो गई. दरअसल, मौलासर के समीप डाबड़ा गांव के रहने वाले नाहर सिंह भोपा पिछले 40 वर्षों से मौलासर में रहकर बकरियां चराकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. मगर 6 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में नाहर सिंह की मौत हो गई. नाहर सिंह के 8 बच्चे है, जिनमें से चार बेटी और एक बेटे की शादी पहले ही हो चुकी है.
इसके बाद नाहर सिंह की पत्नी बाबूडी ने अपनी तीन बेटियों की शादी का फैसला किया. इस दौरान उसने बेटियों की सगाई तो कर दी, लेकिन उसके पास शादी के लिए पैसे नहीं थे. इसी बीच वक़्त निकालता गया और तीनो बेटियां शादी का इंतजार करती रही. इसी दौरान इन बेटियों की मां ने महंत कमलगिरी महाराज को अपनी पीड़ा बताई, तो महाराज ने इस बात की जानकारी ग्रामीणों को देकर उनसे मदद की अपील की. टीम मिशन मानवता ने इस पूरे मामले में काफी मदद की.
कस्बे के लोगों ने अपनेपन का परिचय देते हुए इस परिवार की तीन बेटियों का ना केवल धूमधाम से ब्याह कराया, बल्कि बेटियों की मां बाबुडी को चुनरी ओढ़ाकर उसे बहन के रूप में स्वीकार किया. यह क्षण जहां बाबूडी के लिए भाव भरे रहे, वहीं यह मौका सभी के लिए खुशियां भरने वाला रहा. गांव के लोगों ने जब इन बेटियों को विदा किया तो यह दृश्य मानवीय सद्भावना की मिसाल बनकर नजर आया.
टीम मिशन मानवता के प्रवक्ता राजेंद्र रेवाड़ ने बताया कि महंत की अपील के बाद हाथ से हाथ जुड़ता गया और तीनों बेटियों की शादी के लिए एक दो परिवार नहीं, बल्कि पूरा कस्बा ही सहयोग के लिए आगे आ गया. गांव के लोगों ने दो लाख रुपए एकत्रित कर तीनों बेटियों की न केवल धूमधाम से शादी की, बल्कि बारातियों का स्वागत किया और तीनों बेटियों को अपनी ओर से अनेक उपहार भी दिए.