Explainer: राजस्थान विधानसभा में गतिरोध टूटा, पर्दे के पीछे अशोक गहलोत की रही अहम भूमिका

Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में गतिरोध खत्म करने के इस पूरे घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुभव और राजनीतिक कौशल की बड़ी भूमिका रही. उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस विधायकों और विपक्ष को संवाद के लिए प्रेरित किया, बल्कि सत्ता पक्ष के साथ भी संवाद बनाए रखकर गतिरोध समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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अशोक गहलोत.

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में बीते कुछ दिनों से जारी गतिरोध आखिरकार कल समाप्त हो गया. इस गतिरोध को तोड़ने में एक ओर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अहम भूमिका निभाई. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने भी पर्दे के पीछे से बड़ी भूमिका अदा की. गहलोत लगातार कांग्रेस विधायकों, नेता प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं से संपर्क में रहे, जिससे सदन को सुचारू रूप से चलाने की राह आसान हुई.

गतिरोध के चलते कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था. अशोक गहलोत लगातार दो दिनों तक धरना स्थल पर पहुंचे और विधायकों से बातचीत कर सदन की स्थिति और गतिरोध को लेकर फीडबैक लिया. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से भी चर्चा की. इस दौरान गहलोत ने सत्तापक्ष के नेताओं से संवाद बनाए रखा, जिससे सदन में विपक्ष को अपनी बात रखने का अवसर मिल सके.

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गहलोत ने सुझाया था फॉर्मूला

गुरुवार सुबह जब अशोक गहलोत कांग्रेस विधायकों के धरने पर पहुंचे तो उन्होंने मीडिया से बातचीत में सदन में जारी गतिरोध खत्म करने का फॉर्मूला भी सुझाया. उन्होंने पिछली सरकारों के कार्यकाल में हुए ऐसे ही घटनाक्रमों का हवाला दिया. गहलोत ने कहा कि जब विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विधायक थे, तब उन्हें भी सदन से एक दिन के लिए निलंबित किया गया था. उस समय नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सदन में माफी मांगी थी, जिसके बाद गतिरोध समाप्त हुआ था. गहलोत ने इसी संदर्भ में कहा कि अगर सत्ता पक्ष इस पर सहमत होता है, तो यही फॉर्मूला अपनाया जा सकता है.

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सीएम और स्पीकर से बनाए रखा संपर्क

अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से भी लगातार संपर्क बनाए रखा. उन्होंने समझाया कि सदन को चलाने की पहल पक्ष-विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी होती है और जनहित के मुद्दों पर चर्चा के लिए सभी को बड़ा दिल दिखाने की जरूरत है. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को भी इस बात के लिए तैयार किया कि सत्ता पक्ष के साथ संवाद किया जाए, ताकि बजट की खामियों पर प्रभावी चर्चा की जा सके.

संवाद के लिए तैयार हुआ विपक्ष

गहलोत के प्रयासों के बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक रफीक खान को वार्ता के लिए आगे भेजा गया, जिससे बातचीत का माहौल तैयार हो सके. दूसरी ओर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग से संवाद करने को कहा. धीरे-धीरे सत्ता पक्ष के तेवर नरम हुए और दोनों पक्षों ने गतिरोध समाप्त करने की कोशिशें तेज कर दीं.

नेता प्रतिपक्ष ने डोटासरा के लिए मांगी माफी

गहलोत के सुझाए फॉर्मूले पर शाम तक सहमति बनी और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सदन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिए माफी मांगी. इसके साथ ही गतिरोध समाप्त हुआ और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से शुरू हो सकी.

शाम तक गतिरोध समाप्त, सदन की कार्यवाही सुचारू हुई

दिनभर चली बातचीत के बाद शाम तक गतिरोध समाप्त हो गया और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का सदन में संबोधन संभव हो सका. इसके साथ ही विधानसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई.

इस पूरे घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अनुभव और राजनीतिक कौशल की बड़ी भूमिका रही. उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस विधायकों और विपक्ष को संवाद के लिए प्रेरित किया, बल्कि सत्ता पक्ष के साथ भी संवाद बनाए रखकर गतिरोध समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी पहल से विधानसभा में जनहित के मुद्दों पर चर्चा का रास्ता साफ हुआ और बजट पर चर्चा संभव हो सकी.

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