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Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में छलका रविंद्र सिंह भाटी का दर्द, बोले- मैं तो आपका अपना हूं, मानो या ना मानो!

Rajasthan Assembly Budget Session 2025: सदन में अपनी बात रखते हुए भाटी ने कहा, 'मैं तो निर्दलीय हूं. पक्ष और विपक्ष के साथ बैठा हूं. दिल पर हाथ रखकर कह रहा हूं कि विपक्ष के बिना इस सदन का आनंद भी नहीं आया.'

Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में छलका रविंद्र सिंह भाटी का दर्द, बोले- मैं तो आपका अपना हूं, मानो या ना मानो!
रविंद्र सिंह भाटी.

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 'दादी' कहने पर शुरू हुआ विवाद करीब एक हफ्ते बाद गुरुवार को समाप्त हो गया. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की तरफ से गलत आचरण के लिए माफी मांगी. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सभी 6 कांग्रेस विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया. इसके बाद सदन की कार्यवाही शायराना अंदाज में शुरू  हुई, जिसमें शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी का दर्द छलक उठा.

'मैं तो निर्दलीय हूं...'

सदन में अपनी बात रखते हुए भाटी ने कहा, 'मैं तो निर्दलीय हूं. पक्ष और विपक्ष के साथ बैठा हूं. दिल पर हाथ रखकर कह रहा हूं कि विपक्ष के बिना इस सदन का आनंद भी नहीं आया. कई सारी कमियां रही हैं. इस पर चर्चा होनी चाहिए. बड़े लोग बैठकर उसको निपटाएंगे.' इस पर स्पीकर ने कहा कि विपक्ष की कमी सदन में आप पूरी कर रहे थे. यह बात सुनकर रविंद्र सिंह भाटी मुस्कुराए और कहा कि मैं तो आपका अपना हूं, मानो या ना मानो, यह आपकी मर्जी है.

रिट्रीट सेरेमनी कराने की मांग

भाटी ने कहा, 'मैं सीमांत के उस क्षेत्र से आता हूं, जहां 1965 और 71 के युद्ध झेले. कई सारे काल और अकाल देखे. सीमांत के लोग बहुत मजबूत हैं. उस युद्ध के दौर में, जब भी इस देश को जरूरत लगी, लोगों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी. मैं चाहता हूं कि उस क्षेत्र में वाघा बॉर्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी कराने के लिए हम केंद्र को लिखें. साथ ही साथ, मेरी मांग है कि वहां से वॉर म्यूजियम डेवलेप किया जाए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ि को हमारा शौर्य दिख सके.'

10 दिन में छोड़ दी थी पार्टी

बाड़मेर के छोटे से गांव दूधोड़ा के रहने वाले रविंद्र सिंह भाटी वैचारिक रूप से बीजेपी के करीब हैं और एबीवीपी के सदस्य रहे हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले रविंद्र सिंह भाटी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे, लेकिन टिकट न मिलने पर 10 दिन बाद ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत गए थे. उस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे.

शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद रविंद्र सिंह भाटी भाजपा के साथ जाना चाहते थे. लेकिन भाजपा के नेताओं का एक बड़ा गुट उनके पार्टी में आने के विरोध में चल रहा था. इसके बाद भाटी ने जैसलमेर से आराधना यात्रा शुरू की, जिसमें उन्हें जबरदस्त जन समर्थन मिला. जैसलमेर भाजपा के प्रभाव का क्षेत्र है. ऐसे में नुकसान होता देख पार्टी ने उन्हें जयपुर बुलाया. सीएम से बातचीत हुई, लेकिन भाटी ने जनता से पूछकर फैसला लेने की बात कह कर पार्टी में शामिल होने से किनारा कर लिया. बाद में वे निर्दलीय लोकसभा चुनाव में लड़े हो गए, हालांकि यह चुनाव वे हार गए.

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