रविंद्र सिंह भाटी (फाइल फोटो)
Rajasthan News: बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा लोकसभा सीट (Barmer-Jaisalmer-Balotra Lok Sabha Constituency) से शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) द्वारा चुनावी मैदान में निर्दलीय ताल ठोकने से देश की राजनीति में सियासी पारा हाई हो चुका है. क्योंकि भाजपा (BJP) ने इस सीट से बाड़मेर-जैसलमेर से वर्तमान सांसद और केंद्र में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने कुछ दिन पहले हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से आए उम्मेदाराम बेनीवाल (UmmedaRam Beniwal) को प्रत्याशी बनाया है.
बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान
उम्मेदाराम बेनीवाल और कैलाश चौधरी भी सोशल मीडिया पर खासे लोकप्रिय हैं. लेकिन रविंद्र सिंह भाटी जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से निर्दलीय छात्र संघ का चुनाव जीतने के बाद खासकर युवाओं में बेहद लोकप्रिय चेहरा हैं. उनके शिव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के दौरान दिए गए भाषण सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं. उनके समर्थक भी लगातार उन्हें लोकसभा चुनाव में उतरने की मांग कर रहे थे, जिसके बाद भाटी ने मंगलवार को बाड़मेर में सर्व समाज की बड़ी बैठक बुलाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. रविंद्र सिंह भाटी के निर्दलीय चुनाव में उतरने से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की हालत खराब होती हुई नजर आ रही है. रविंद्र सिंह भाटी के चुनाव लड़ने का सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को होगा. इसलिए प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने मनाने की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बनी.
जमानत तक हो गई थी जब्त
रविंद्र सिंह भाटी छात्र राजनीति से ही भाजपा की सहयोगी छात्र इकाई मानी जाने वाली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से छात्र संघ की टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जेएनवीयू के 57 साल के इतिहास में पहली बार निर्दलीय चुनाव जीत कर छात्र संघ अध्यक्ष बने. इसके बाद 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले रविंद्र सिंह भाटी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना चाहते थे, लेकिन कुछ नेता उन्हें पार्टी में नहीं देखना चाहते थे. लेकिन रविंद्र सिंह भाटी भाजपा में शामिल होने में कामयाब रहे. भाटी भाजपा से शिव विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला, जिसके बाद महज 10 दिनों में ही उनका पार्टी से मोह भंग हो गया और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने. यही नहीं, शिव विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी स्वरूप सिंह खारा अपनी जमानत तक नहीं बचा सके.
'सबकुछ दांव पर लगाया'
शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद रविंद्र सिंह भाटी भाजपा के साथ जाना चाहते थे. लेकिन भाजपा के नेताओं का एक बड़ा गुट उनके पार्टी में आने के विरोध में चल रहा था. इसके बाद भाटी ने जैसलमेर से आराधना यात्रा शुरू की. इस यात्रा में रविंद्र सिंह भाटी को जबरदस्त जन समर्थन मिला. जैसलमेर भाजपा के प्रभाव का क्षेत्र है. ऐसे में नुकसान होता देख पार्टी ने उन्हें जयपुर बुलाया और प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ कई केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की. लेकिन रविंद्र सिंह भाटी ने जनता से पूछकर फैसला लेने की बात कह कर पार्टी में शामिल होने से किनारा कर लिया. मंगलवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर सर्व समाज की बैठक में निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. रविंद्र सिंह भाटी के मैदान में उतरने से बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सीट से इस बार चुनावी मुकाबला बेहद ही रोचक हो चला है. भाटी के चुनावी मैदान में उतरते ही क्षेत्र का बड़ा युवा वर्ग उनके साथ जाता हुआ दिख रहा है, जिसका सबसे बड़ा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को होता हुआ नजर आ रहा है.
ये भी पढ़ें:- राजस्थान के अलवर में गौ तस्करों से मारपीट, ICU में भर्ती, ग्रामीण बोले- 'भागते हुए लगी चोट'