कोटा बैराज गेट खुलवाने के लिए 100 ट्रैक्टरों के साथ किसानों का कूच, पुलिस ने रोका तो हाईवे पर डाला पड़ाव

Farmers News: बूंदी में नहरों के पानी की मांग को लेकर किसानों ने कोटा बैराज की ओर कूच किया. पुलिस बल ने उन्हें बीच में रोका तो किसान कोटा दौसा मेगा हाईवे पर पड़ाव डालकर बैठ गए. 

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100 ट्रैक्टर से करने की तैयारी में किसान

Kota Dausa Mega Highway Farmer's Encampment: बूंदी जिले में नहरी पानी की मांग को लेकर किसानों ने कोटा बैराज के गेट खोलने के लिए कूच कर दिया है. किसान कोटा दौसा मेगा हाईवे की तरफ करीब 100 ट्रैक्टरों के साथ कोटा की तरफ कूच करने के लिए निकल पड़े. इसी बीच पुलिस बल ने किसानों को रोक दिया और संभागीय आयुक्त से बातचीत का न्यौता दिया. पुलिस द्वारा किसानों को रोके जाने पर पुलिस में जमकर नोंकझोंक हुई. आखिर में संभागीय आयुक्त से प्रतिनिधिमंडल बातचीत करने के लिए पहुंचा. इधर किसान कोटा दौसा मेगा हाईवे पर स्थित मंदिर में पड़ाव डालकर बैठ गए हैं.

किसानों का कहना है कि प्रतिनिधिमंडल वार्ता करने के लिए गया है, जो भी वार्ता होगी उसे सर्व सहमति से मान लिया जाएगा. यदि प्रशासन वार्ता करने में विफल रहता है तो जो किसान मेगा पर पड़ाव डालकर बैठे हैं वह सीधा कोटा की तरफ बढ़ेंगे. 

किसान नेता गिरिराज गौतम ने कहा कि किसानों ने संभागीय आयुक्त को धरना देकर एक जुलाई से नहरों में पानी छोड़ने की मांग को लेकर मांग पत्र सौंपा था. लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया. हम आज किसान लालसोट मेगा हाइवे स्थित गणेश मंदिर पर एकत्रित हुए. जिसमें विभिन्न गांव के किसान ट्रैक्टरों के साथ आंदोलन में पहुंचें और कोटा बैराज कूच कर नहरों के दरवाजे खोलने के लिए निकल पड़ें. आंदोलन को लेकर किसानों की एक बैठक गणेश मंदिर में आयोजित हुई थी. जहां पर विभिन्न गांव के किसान मौजूद रहें, जिसमें कोटा बैराज में गेट खोलने का फैसला लिया गया था.

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मानसून सीजन में किसान की तैयारियों पर खतरा

किसानों का आरोप है कि सीएडी प्रशासन ने कोटा बैराज में 10 हजार क्यूसेक से ज्यादा पानी व्यर्थ बहा दिया, लेकिन नहरों में नही छोड़ा. प्रशासन पानी छोड़ देता तो शायद तक किसानों के काम आ जाता. लेकिन सीआईडी प्रशासन सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहा है और किसानों को पानी नहीं दे रहा है. किसानों ने कहा कि अब हम आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है. हमने दो माह पहले 1 जुलाई से केशोरायपाटन क्षेत्र में खरीफ की फसल के लिए नेहरू पानी छोड़ने की मांग की थी. विभाग ने हमें आश्वासन भी दिया था. लेकिन 1 जुलाई होने जाने के बावजूद भी पानी नहीं छोड़ा है जिसके चलते किसानों में आक्रोश है.

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जिले में मानसून की एंट्री होने के साथ ही किसान खेतों में फसल की तैयारी में जुट गए हैं. मानसून की बारिश भी अभी तक नहीं हुई है. उन्हें पहले पानी की आवश्यकता है, लेकिन विभाग पानी को नहरों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में किसानों फसल खराब होने चिंता है. सरकार किसानों की बात करती है लेकिन सीएडी प्रशासन किसानों की मांगे नहीं मानकर सरकार को बदनाम कर रहा है.

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