पिता चलाते हैं परचून की दुकान, DRDO में वैज्ञानिक बनकर बेटी ने बढ़ाया मान

हेमकंवर ने बुधवार को DRDO के जोधपुर केंद्र पर ज्वाइन कर लिया है. हेम ने हाल ही में जयपुर की मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनआईटी- MNIT) से फिजिक्स में पीएचडी पूरी की है.

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DRDO में चयनित हेमकंवर
चूरू:

अगर दिल में जज्बा हो और हौसला बुलंद हो तो सफलता अपने आप चलकर आती है. राजस्थान के चूरू जिले में एक बेटी ने रक्षा मंत्रालय की रिसर्च विंग से जुड़कर अपने क्षेत्र का मान बढ़ाया है. चुरू के निकटवर्ती देपालसर की बेटी हेमकंवर राठौड़ भारतीय रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ- DRDO) में वैज्ञानिक पद पर चयनित होकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है.  हेमकंवर ने इसका श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया है.

हेमकंवर के पिता नरेंद्र सिंह किसान हैं, इसके अलावा गांव में ही नरेंद्र सिंह परचून की दुकान भी चलाते हैं. नरेंद्र सिंह शिक्षा का महत्व जानते थे इसलिए उन्होंने अपने तीनों बच्चों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाया. हेमकंवर की सफलता को से नरेंद्र सिंह का सीना गर्व से ऊंचा हो गया.

हेमकंवर के दादा मोहनसिंह राठौड़ ने बताया कि हेमकंवर ने बुधवार को DRDO के जोधपुर केंद्र पर ज्वाइन कर लिया है. हेम ने हाल ही में जयपुर की मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनआईटी- MNIT) से फिजिक्स में पीएचडी पूरी की है. पिता नरेन्द्र सिंह और माता सुबोध कंवर ने बताया कि हेमकंवर शुरू से पढ़ाई में होशियार रही है, चूरू के केंद्रीय विद्यालय से 10वीं और 12वीं में टॉप किया.

DRDO में वैज्ञानिक बनने वाली चूरू की बेटी हेमकंवर.


 
किशनगढ़ सेंट्रल यूनिवर्सिटी में मिला था गोल्ड मेडल

हेमकंवर ने बीएससी की पढ़ाई जयपुर के महारानी कॉलेज से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की, किशनगढ़ की सेंट्रल यूनिवर्सिटी से तीन वर्षीय एंटीग्रेटेड एमएससी बीएड (फिजिक्स ) में गोल्ड मेडल हासिल किया. बहन दीपिका और भाई जयदीप ने बताया कि हेमकंवर गेट, नेट-जेआरफ क्लीयर कर चुकी है. 

हेमकंवर की सफलता पर पूरे परिवार और ग्रामवासियों ने हर्ष जताया है. सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह ने बताया ग्रामीण क्षेत्र में भी अब शिक्षा का धीरे-धीरे प्रचार-प्रसार हो रहा हैं. बेटियां भी अब पढ़ लिखकर आगे बढ़ रही हैं, सफलता प्राप्तकर हेमकंवर ने पूरे गांव में इसका उदाहरण स्थापित किया है.

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