पहली बार के विधायक जो बने मंत्री, जानिए कौन हैं हेमंत मीणा जिन्हें भाजपा ने दी बड़ी जिम्मेदारी

पहली बार विधायक बने हेमंत मीणा को आज प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई.

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हेमंत मीणा

Pratapgarh MLA Hemant Meena: राजस्थान में भजनलाल की टीम तैयार हो चुकी है, शनिवार को राजभवन में मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया. जिनमें कुल 22 मंत्रियों ने गोपनीयता की शपथ दिलाई गयी. इनमें 12 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 5 राज्य मंत्री हैं. भाजपा ने कई ऐसे विधायकों को मंत्री बनाया है जिन्होंने पहली बार चुनाव जीता है. जिनमें पहली बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाले पूर्व सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, हेमंत मीणा और केके विश्नोई को भी मंत्री बनाया गया है.

प्रतापगढ़ विधानसभा सीट से विधायक हैं हेमंत मीणा

पहली बार विधायक बने हेमंत मीणा को आज प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. जयपुर में जैसे ही मीणा ने मंत्री पद की शपथ ली प्रतापगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं में हर्ष की लहर दौड़ गई. सूरजपाल चौराहे पर भाजपा नेता प्रहलाद गुर्जर के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए जश्न मनाया. 

पूर्व मंत्री के बेटे हैं हेमंत मीणा

उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा के बेटे हैं हेमंत मीणा. इससे पहले मीणा ने कहा था कि बढ़ती उम्र के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया है लेकिन पार्टी के लिए काम करना नहीं छोड़ेंगे. इस विधानसभा चुनाव में उनके बेटे का नाम प्रमुखता से प्रदेश एवं केंद्रीय नेतृत्व को भेजा था. हालांकि वह खुद भी चाहते थे कि इस बार उनकी बजाय उनके बेटे को विधानसभा के लिए टिकट दिया जाए. 

वसुंधरा के करीबी हैं हेमंत के पिता नंदलाल मीणा

हेमंत मीणा जहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के करीबी हैं तो वहीं उनके पिता नंदलाल मीणा की वसुंधरा राजे से करीबियां रही है. मीणा के मंत्री पद की शपथ लेते ही उनके अंबामाता स्थित आवास पर भी जश्न का माहौल है. यहां पर बड़ी संख्या में पहुंच रहे भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी पूर्व जनजाति विकास विभाग मंत्री नंदलाल मीणा को बधाइयां दे रहे हैं.

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हाल ही में विधानसभा चुनाव में हेमंत ने कांग्रेस के रामलाल को 25 हजार मतों से शिकस्त दी थी. बांसवाड़ा संभाग की 11 सीटों में से भाजपा को तीन सीटों पर ही विजय प्राप्त हुई थी. ऐसे में जनजाति वर्ग के वोटो को साधने के लिए और भारत आदिवासी पार्टी के प्रभाव को रोकने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार में युवा चेहरे को मौका दिया गया था.

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