जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक का निधन, 79 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की उम्र में दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में निधन हो गया.

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सत्यपाल मलिक निधन.

Delhi News: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है. लंबी बीमारी के बाद मंगलवार दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 79 वर्ष के थे. सत्यपाल मलिक के निधन की सूचना उनके ही एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में दी गई. मलिक लंबे समय से अस्पताल के ICU में भर्ती थे. उन्हें किडनी संबंधी कई तरह की विभिन्न बीमारियां हैं जिनका लंबे समय से इलाज चल रहा था. संयोग से सत्यपाल मलिक का निधन ठीक उसी दिन हुआ जब 6 साल पहले, 2019 में आज ही के दिन केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है.

बिहार, गोवा, मेघालय के भी राज्यपाल रहे

सत्यपाल मलिक लंबे वक्त तक सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे. वो न सिर्फ जम्मू-कश्मीर, बल्कि  बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रह चुके थे. साल 2017 से 2018 तक वे बिहार के गवर्नर रहे. साल 2018 से 2019 तक वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे. साल 2019 से 2020 तक वे गोवा के राज्यपाल रहे. इसके बाद वे 2020 से 2022 तक मेघालय के राज्यपाल रहे.

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कुर्सी पर सत्ता से सवाल करते थे सत्यपाल मलिक 

सत्यपाल पलिक ऐसे नेताओं में होती थी जो कुर्सी पर रहते हुए भी सत्ता से सवाल करते थे. वे संविधान, किसानों और लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कभी नहीं भूले. सतपाल मलिक ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था – "मैंने कभी झूठ बोलकर पद नहीं बचाया. सच बोलने की आदत है, इसलिए अकेला हूं."

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सत्यपाल मलिक के प्रमुख विवाद:-

1. पुलवामा अटैक पर बयान: सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि अगर सरकार ने उनके कहे अनुसार जवानों को एयरलिफ्ट किया होता, तो पुलवामा हमला टल सकता था.

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2. किसान आंदोलन: सत्यपाल मलिक ने केंद्र पर किसान हितों की अनदेखी का आरोप लगाया और कहा कि सरकार अगर किसानों की सुने बिना अड़ियल रवैया अपनाएगी, तो उसका नुकसान होगा.

3. भ्रष्टाचार के आरोप: सत्यपाल मलिक ने राज्यपाल रहते हुए कुछ मंत्रालयों में भ्रष्टाचार की बात सार्वजनिक तौर पर उठाई थी.

मलिक और भाजपा सरकार के बीच संबंधों में 2020-21 के आसपास खटास शुरू हो गई थी, जब जाट नेता ने रद्द किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया था.

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक करियर

उत्तर प्रदेश के बागपत से जाट नेता सत्यपाल मलिक ने एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल के विधायक चुने गए. वो राज्यसभा सांसद और बाद में अलीगढ़ से जनता दल के लोकसभा सांसद रहे. बाद के वर्षों में वे कांग्रेस, लोकदल और फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. 1980-1989 तक वे राज्यसभा सदस्य रहे. 1989 में वे अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने.

निधन पर अशोक गहलोत ने जताया शोक

सत्यपाल मलिक के निधन पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवेदना प्रकट की है और बताया है कि उन्होंने कुछ दिनों पहले दिल्ली में अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल पूछा था.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक प्रकट किया है. डोटासरा ने सोशल मीडिया पर लिखा- "सत्यपाल जी ने तानाशाही, दमन और किसान विरोधी नीतियों का जीवनपर्यंत विरोध किया. जनहित और ईमानदारी के सच्चे प्रहरी के रूप में उनका जीवन हमेशा समर्पित रहा. राजनीति में स्पष्टवादिता के धनी सत्यपाल जी का अविस्मरणीय योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. "

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