Rajasthan: जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति ने बांटी थी फर्जी डिग्रियां, ED ने 84 लाख रुपए की संपत्ति ज़ब्त की 

ED Action In Jodhpur: ED की जांच में यह सामने आया कि JNU के कुलपति रहे कमल मेहता ने निजी छात्रों को फर्जी डिग्री, मार्कशीट और डिप्लोमा प्रमाणपत्र बेचने के लिए एक संगठित सिंडिकेट तैयार किया था.

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Jodhpur News: जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई जारी है. इस मामले में करोड़ों की आपराधिक आय जुटाने वाले कमल मेहता के सहयोगी पुनीत गोदावत की चल संपत्तियों को ED की जयपुर जोनल यूनिट ने जब्त किया है. 28 अप्रैल को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत पुनीत गोदावत और अन्य से जुड़ी लगभग 84.82 लाख रुपये की चल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया.

यह कार्रवाई राजस्थान पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई, जिसके बाद ED ने JNU जोधपुर और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ PMLA के अंतर्गत जांच शुरू की थी.

एक संगठित सिंडिकेट तैयार किया था

ED की जांच में यह सामने आया कि JNU के कुलपति रहे कमल मेहता ने निजी छात्रों को फर्जी डिग्री, मार्कशीट और डिप्लोमा प्रमाणपत्र बेचने के लिए एक संगठित सिंडिकेट तैयार किया था. उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड की मंजूरी के बिना चार राष्ट्रीय समन्वयकों की नियुक्ति की और विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षरों से नियुक्ति पत्र जारी किए.

इन समन्वयकों ने देशभर में उप-केंद्र खोलकर छात्रों से फीस और आवेदन एकत्र किए, परीक्षाएं आयोजित कीं और फर्जी परिणाम जारी किए. ED ने अब तक दो अनंतिम कुर्की आदेश जारी करते हुए लगभग 21.51 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को जब्त किया है, जो इस अपराध से अर्जित की गई थीं.

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यूनिवर्सिटी के खाते में थी करोड़ों की आय 

इस केस में ED की एंट्री 17 दिसंबर 2014 को हुई, जब जयपुर की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) पुलिस ने अशोक विश्नोई और श्याम सिंह मीना के खिलाफ IPC की धारा 420, 467, 468 और 120B के तहत एफआईआर दर्ज की. बाद में श्याम सिंह मीना, दर्शिल अजमेरा, मनोज कुमार पारीक, कमल मेहता, अशोक कुमार सरन और पुनीत गोदावत को फर्जी परीक्षा आयोजित कर फर्जी डिग्री प्राप्त करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

जांच में यह पाया गया कि JNU के बैंक खातों में जमा 164.20 मिलियन रुपये अपराध की आय थी, जिसे निजी छात्रों को फर्जी डिग्री और डिप्लोमा बेचकर अर्जित किया गया था. इसके बाद 8 जुलाई 2015 को ED ने PMLA के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की.

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