
Sikar News: सीकर के एडीजे कोर्ट नंबर 4 के न्यायाधीश ने करीब 10 साल पहले पीने के पानी की पाइपलाइन का कनेक्शन काटने की बात को लेकर हुई मारपीट के बाद एक युवक की मौत मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सात आरोपियों को आजीवन कारावास व बीस-बीस हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है. मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 26 साक्ष्य और 24 गवाह पेश किए गए. जिसके आधार पर न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार मीणा ने मामले में अहम फैसला सुनाते हुए सात आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
सजा के बाद सभी आरोपियों को जिला कारागार भिजवाया गया है. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार कुड़ी ने कोर्ट में मामले की पैरवी की.
पानी की पाइपलाइन के कनेक्शन को लेकर हुआ था विवाद
अपर लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार कुड़ी ने बताया कि यह मामला 10 जुलाई 2015 का है, जब रानोली थाना क्षेत्र के मियां की ढाणी निवासी परिवादी महबूब और बशीर खान ने थाने में रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट में बताया गया कि बशीर खान का भतीजा और महबूब का भाई याकूब, दोनों के बीच पीने के पानी की पाइपलाइन के कनेक्शन को लेकर विवाद हुआ था. इस विवाद की जानकारी पंचायत और गांव स्तर पर भी दी गई थी, जिससे आरोपी पक्ष नाराज हो गया.
लाठी-सरियों से किया था जानलेवा हमला
घटना के दिन जब याकूब मस्जिद से नमाज पढ़कर लौट रहा था, तब दो गाड़ियों में सवार होकर आए सातों आरोपियों ने उस पर लाठी-सरियों से जानलेवा हमला कर दिया. गंभीर रूप से घायल याकूब को इलाज के लिए जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद रानोली थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया और पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया.
26 साक्ष्य और 24 गवाहों को पेश किये गए
पुलिस की जांच के बाद मामला कोर्ट में पहुंचा, जहां अभियोजन पक्ष ने 26 साक्ष्य और 24 गवाहों को पेश किया. गवाहों और सबूतों के आधार पर अदालत ने मामले को संगीन माना और सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई. अदालत ने यह भी कहा कि यह हमला सुनियोजित और दुर्भावनापूर्ण था, जिसमें मृतक की जान ले ली गई.
इनको सुनाई गई सजा
जिन सात आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है, उनके नाम हैं, शफीक अहमद (30), मोहम्मद हनीफ उर्फ ईद (43), शरीफ अहमद (37), सुभाष चंद्र (23), मुमताज खान, साबिर खान और सायरा बानो उर्फ गुड्डी. फैसला सुनाए जाने के बाद सभी दोषियों को सीधे जिला कारागार भेज दिया गया.