जैसलमेर जिले के किशनघाट जेठवाई-गजरूप सागर की पहाड़ियों में जुरासिक कालखंड के अंडे का जीवाश्म मिला है. यह जीवाश्म उसी इलाके में मिला है,जहां साल 2018 व उससे पहले की रिसर्च में डायनासोर के होने के प्रमाण व जीवाश्म मिले थे. बताया जाता है कि यह जीवाश्म 7 सितंबर 2023 को भू जल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इनखिया को जैसलमेर के किशनघाट जेठवाई-गजरूप सागर की पहाड़ियों में मिला.
जैसलमेर के भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इनखिया ने बताया कि पत्थर जैसे दिखने वाला अंडे का जीवाश्म लखनऊ में जांच के लिए भेजा जाएगा. हालांकि संभावना जताई जा रही है कि यह अंडा डायनासोर का हो सकता है.
भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वे और IIT की टीम ने की खोज
डॉ. इनखिया के मुताबिक यह वो इलाका है, जहां कुछ साल पहले भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वे और आईआईटी की भू वैज्ञानिकों की टीम ने डायनासोर के जीवाश्म खोजे थे. अब जांच के बाद ही जानकारी मिल पाएगी कि यह जीवाश्म कितना पुराना है और किस जानवर किस प्रजाति के अंडे का है.
जैसलमेर में मिला जीवाश्म चीन से पुराना
भारत में पहली बार थारोसोरस के रूप में एक डायक्रेओसोराइड सोरोपॉड मिला है. यह करीब 40 फीट लंबे होते थे, उनकी गर्दन और पूंछ छोटी होती थी. डायनासोर का परिवार डिप्लोडोसॉइड नामक एक डायनासोर प्रजाति में आता है. भारत में इससे पहले किसी डिप्लोडोसॉइड का जीवाश्म नहीं मिला था. थारोसोरस से पहले चीन में मिले डाईक्रेओसोराइड के जीवाश्म को सबसे पुराना समझा जाता था. वो 16.6 करोड़ से 16.4 करोड़ साल पुराना था.
भारत डिप्लोडोसॉइड डायनोसोरों की उत्पत्ति का केंद्र
भारत में हुई ताजा खोज ने चीन के जीवाश्म को 10 से 30 लाख साल पीछे छोड़ दिया है. वैज्ञानिकों के अनुसार इन सभी खोजों को जोड़ कर देखें तो पक्के सबूत मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप डिप्लोडोसॉइड डायनोसोरों की उत्पत्ति और उनके क्रमिक-विकास का केंद्र था.
जानें ये बड़े फैक्ट्स
1- जैसलमेर के भू जल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास इनखिया को 7 सितंबर, 2023 को जैसलमेर के किशनघाट, जेठवाई-गजरूप सागर की पहाड़ियों में एक अंडे का जीवाश्म मिला है.
2- यह जीवाश्म उसी इलाके में मिला है जहां साल 2018 व उससे पहले की रिसर्च में डायनासोर के होने के प्रमाण व जीवाश्म मिले थे.
3- अब अंडे का जीवाश्म मिलने से उसके डायनासोर के अंडे होने की संभावना बढ़ गई है.
4- थारोसोरस के रूप में भारत में पहली बार एक डायक्रेओसोराइड सोरोपॉड मिला है. यह करीब 40 फीट लंबे होते थे, उनकी गर्दन और पूंछ छोटी होती थी.
5- भारत में इससे पहले किसी डिप्लोडोसॉइड का जीवाश्म नहीं मिला.
6- थारोसोरस से पहले चीन में मिले डाईक्रेओसोराइड के जीवाश्म को सबसे पुराना समझा जाता था. भारत में हुई ताजा खोज ने चीन के जीवाश्म को 10 से 30 लाख साल पीछे छोड़ दिया है.
7- वैज्ञानिकों के अनुसार इन सभी खोजों को जोड़ कर देखें तो पक्के सबूत मिलते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप डिप्लोडोसॉइड डायनोसोरों की उत्पत्ति और उनके क्रमिक-विकास का केंद्र था.