गंगापुर सिटी में तीन दिन की 'महाभारत' खत्म, बद्रीनाथ मंदिर विवाद पर वैश्य समाज का धरना समाप्त

गंगापुर सिटी में बद्रीनाथ मंदिर के पुजारी और ट्रस्ट के बीच का विवाद सुलझ गया है. तीन दिन तक चले वैश्य समाज के धरने के बाद प्रशासन की मध्यस्थता से एक समझौता हुआ, जिसके बाद बाजार फिर से खुल गए हैं.

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गंगापुर सिटी: बद्रीनाथ मंदिर विवाद पर वैश्य समाज का धरना समाप्त, तीन दिन बाद बाजार खुले

Rajasthan News: राजस्थान के गंगापुर सिटी में अग्रवाल-खंडेलवाल बद्रीनाथ धर्मशाला ट्रस्ट और मंदिर के पुजारी के बीच चल रहा तीन दिन पुराना विवाद आखिरकार खत्म हो गया है. जिला प्रशासन की मध्यस्थता से हुई कई दौर की बातचीत के बाद शुक्रवार देर रात दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई, जिसके बाद वैश्य समाज का धरना समाप्त हो गया. इस विवाद के चलते शहर लगातार तीन दिन तक बंद रहा था, जिससे जनजीवन और व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ था. अब सहमति बनने के बाद आज से बाजार सामान्य रूप से खुलेंगे.

कैसे शुरू हुआ था विवाद?

विवाद की शुरुआत तब हुई जब ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मंदिर के पुजारी और उनके परिवार पर मारपीट का आरोप लगाया. ट्रस्ट ने इसकी शिकायत पुलिस में की, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने शुरुआती दौर में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया, जिससे समाज में आक्रोश फैल गया. इसके बाद, वैश्य समाज ने एक रैली निकाली, जहां पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की खबर ने मामले को और भड़का दिया.

इसके विरोध में वैश्य समाज ने बद्रीनाथ मंदिर के सामने तीन दिन के लिए अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया. इस धरने को ना सिर्फ स्थानीय वैश्य समाज का, बल्कि आसपास के कस्बों और अन्य सामाजिक, राजनीतिक संगठनों का भी पूरा समर्थन मिला. प्रदर्शनकारी रात-दिन मंदिर के सामने डटे रहे, जहां भोजन, भंडारे, भजन-कीर्तन के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी नारेबाजी चलती रही.

सोशल मीडिया पर बढ़ा था तनाव

इस धरने के दौरान एक नया तनाव भी पैदा हो गया. सवाई माधोपुर के वैश्य समाज द्वारा जारी एक ज्ञापन में बद्रीनाथ मंदिर पर ब्राह्मण समाज का कब्जा होने की बात कही गई, जिससे दोनों समाजों के बीच सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई. हालांकि, वैश्य समाज ने इस गलती को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से लिखित और मौखिक माफी मांगी, जिससे यह नया विवाद शांत हुआ. ब्राह्मण समाज का कहना था कि यह कब्जा किसी व्यक्ति विशेष (पुजारी रामेश्वर शर्मा) का है, न कि पूरे ब्राह्मण समाज का.

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प्रशासन की मैराथन बातचीत

पिछले तीन दिनों से इस मामले को सुलझाने के लिए प्रशासन और वैश्य समाज के बीच लगातार बातचीत चल रही थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा था. इस दौरान, जिला कलेक्टर कानाराम और पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल गंगापुर सिटी में ही कैंप किए हुए थे. धरने पर बढ़ते दबाव के बीच, खंडेलवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेशचंद्र खंडेलवाल भी गंगापुर सिटी पहुंचे. उन्होंने आंदोलन को जायज ठहराया और तत्काल समाधान की मांग की. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो वह मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से मिलेंगे. उनके इस हस्तक्षेप के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया और बातचीत में तेजी आई.

इन मांगों पर बनी सहमति

देर रात हुई बातचीत में प्रशासन ने दोनों पक्षों के बीच एक बीच का रास्ता निकाला, जिस पर दोनों पक्ष सहमत हो गए.

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  1. पुजारी रामेश्वर शर्मा मंदिर में पूजा करते रहेंगे, लेकिन उनके परिवार का कोई भी सदस्य मंदिर में प्रवेश नहीं करेगा.
  2. मंदिर परिसर में 24 घंटे निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे.
  3. मंदिर में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए 5 पुलिसकर्मियों का जाब्ता हमेशा मौजूद रहेगा.
  4. ट्रस्ट के पदाधिकारी मंदिर से जुड़े निर्माण और मरम्मत के कार्यों के लिए मंदिर में आ-जा सकेंगे.
  5. पुजारी को मंदिर परिसर से हटाने के लिए 15 दिनों में कानूनी राय लेकर अंतिम फैसला किया जाएगा.

देर रात लगभग 10 बजे, जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने धरना स्थल पर पहुंचकर इस फैसले की घोषणा की. वैश्य समाज ने तालियां बजाकर इस निर्णय का समर्थन किया और शांतिपूर्ण ढंग से धरने को समाप्त करने का ऐलान किया.

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