Rajasthan Politics: जयपुर के पीसीसी कार्यालय में देश के पहले पीएम पं. जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि मनाई गई. कार्यक्रम में पूर्व सीएम अशोक गहलोत पहुंचे. अशोक गहलोत मीडिया से रूबरू हुए. उन्होंने कहा, "आप (भजनलाल शर्मा) निडर होकर काम करें. दिल्ली के दबाव और RSS हेड क्वार्टर के दबाव में काम नहीं करें. CM की कुर्सी सब कुछ सिखा देती है. मैं भी पहली बार CM बना तो कहा गया कि कैसे सरकार चलाएंगे. लेकिन, मैंने सरकार चलाया. लोकसभा चुनाव के रिजल्ट राजस्थान में कुछ भी हो, इसमें भजनलाल जी क्या गलती? उनको तो राज करने का समय कहां मिला? मैं चाहता हूं, भजनलाल जी 5 साल सरकार चलाएं."
4 जून के बाद सीएम की कुर्सी बदलने के कयास
राजस्थान के सियासी गलियारों में चर्चा है कि 4 जून के लोकसभा चुनाव परिणाम के राजस्थान के सीएम बदल सकते हैं. सीट कम होने पर उनकी कुर्सी जा सकती है. गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद सियासी चर्चाएं और तेज हो गई हैं. अमित शाह ने कहा है कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की सीटें कम रहेंगी. सभी सीटों पर बीजेपी की जीत नहीं होगी.
अमित शाह के बयान के बाद इंटरनल विरोधी धड़ा एक्टिव
अमित शाह के इस बयान के बाद इंटरनल विरोधी धड़ा एक्टिव हो गया. ऐसे में सवला उठने लगा कि लोकसभा चुनावों का परिणाम आने के बाद सीएम की कुर्सी रहेगी या चली जाएगी? लोकसभा चुनाव में भजनलाल शर्मा ने बाकी नेताओं की तुलना में अधिक ताकत झोंकी है.
किरोणी लाल सीएम भजनलाल शर्मा की बढ़ा चुके हैं मुश्किलें
दूसरी तरफ भजनलाल सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से त्यागपत्र देने का ऐलान कर सीएम भजनलाल शर्मा की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं. किरोणी लाल मीणा ने कहा कि दौसा लोकसभा सीट हारने पर मंत्री पद से त्यागपत्र दे देंगे. इसके अलावा किरोड़ी लाल मीणा के समर्थक और दौसा से भाजपा कैंडिडेट कन्हैया लाल मीणा ने कहा है कि सीएम किरोड़ी लाल मीणा को बनना चाहिए. ऐसे में सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रह हैं. किरोणी लाल मीणा चार बार लेटर लिखकर अपने ही सरकार को घेर चुके हैं. तीन बार भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा और एक बार पीएम मोदी के नाम पत्र लिख चुके हैं.
लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर जीत का दिया गया था टारगेट
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि राजस्थान में कैबिनेट के गठन के समय भजनलाल शर्मा ने कई बार दिल्ली का दौरा किया था. उस दौरान कैबिनेट और राज्यमंत्रियों से कहा गया था कि पार्टी के लोकसभा कैंडिडेट की जीत बड़े पैमाने पर होनी चाहिए. बीजेपी की अगली रणनीति बहुत गोपनीय होती है, जो प्रदेश में सीएम के नाम के ऐलान के समय भी दिखी थी.
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