राजस्थान में 28 हफ्ते की गर्भवती युवती को हाईकोर्ट ने क्यों दिया अबॉर्शन का परमिशन, क्या है कानून

राजस्थान हाई कोर्ट ने रेप पीड़िता को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी. साथ ही पीड़िता को आर्थिक मदद देने के भी निर्देश दिए हैं.

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फाइल फोटो

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट ने सोमवार को रेप पीड़िता को 28 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दे दी है. इस दौरान कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर भ्रूण जीवित मिलता है तो उसकी उचित देखरेख की जाए. 20 वर्षीय रेप पीड़िता की याचिका पर जस्टिस सुदेश बंसल की सिंगल बेंच ने यह फैसला दिया है. 

28 हफ्ते की प्रेग्नेंट है पीड़िता

हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने महिला चिकित्सालय जयपुर को पीड़िता की सहमति के बाद गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि 20 पीड़िता रेप के बाद प्रेग्नेंट हो गई थी, जो अब 28 हफ्ते की गर्भवती हो गई है. कोर्ट ने रेप पीड़िता की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस दौरान भ्रूण जीवित मिलता है तो उसकी उचित देखरेख की जाए. अन्य स्थिति में साक्ष्य सुरक्षित रखने के लिए कार्रवाई की जाए. 

आर्थिक मदद देने के निर्देश

इसके अलावा राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को कहा कि पीड़िता को आर्थिक सहित आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाए. साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर अनचाहे संतान को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है तो पीड़िता के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ेगा. 

1 अन्य नाबालिग को भी परमिशन

बता दें कि एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने 13 साल की नाबालिग को एबॉर्शन कराने की अनुमति दे दी. 13 साल की नाबालिग के माता- पिता की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में बताया गया था कि नाबालिग फरवरी 2024 को अचानक गायब हो गई थी.  माता- पिता ने उसकी गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज कराया गया था. पुलिस ने  किशोरी को बरामद कर लिया था. 

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कितने सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति

पुलिस पूछताछ में किशोरी ने बताया कि आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लड़की का मेडिकल कराया, जिसमें वह 14 सप्ताह की गर्भवती थी. नाबालिग इस अनचाहे गर्भ को नहीं रखना चाहती थी. बता दें कि गर्भपात अधिनियम के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भपात की अनुमति है. 

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