सरकारी स्‍कूल की ब‍िल्‍ड‍िंग जर्जर, शिव मंदिर में बच्‍चों की चल रहीं क्‍लासेस

मंदिर के एक ही हॉल में कक्षा 1 से लेकर 8 तक के छात्र-छात्राएं बैठते हैं, जिससे पढ़ाई में एकाग्रता बनाए रखना कठिन हो जाता है.

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मंदिर में बच्चों की कक्षाएं चल रही हैं.

अजमेर शहर के भजन गंज इलाके में इन दिनों एक अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है. यहां भगवान शिव के विश्वनाथ मंदिर में इन दिनों घंटियों और प्रार्थनाओं के बीच बच्चों की पढ़ाई चल रही है. ‘शिक्षा का मंदिर' यह कहावत अब सच होती नजर आ रही है. दरअसल, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय धाननाडी, अजमेर की इमारत जर्जर हालत में पहुंच चुकी है, जिसे जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग ने असुरक्षित घोषित कर दिया. बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने अस्थायी तौर पर मंदिर परिसर में कक्षाएं संचालित करने के आदेश जारी किए.

मंदिर के हाल में गूंजती आवाजें

आठवीं कक्षा के छात्र पवन राव ने बताया, "सभी क्लास एक साथ लगती हैं, तो आवाज बहुत गूंजती है. पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता." ब्लैक बोर्ड की कमी, टेबल-कुर्सियों की सीमित व्यवस्था और पढ़ने के लिए पर्याप्त रोशनी नहीं है, ज‍िससे बच्चों की परेशानी बढ़ गई है. कई अभिभावकों का कहना है कि पुराने स्कूल में माहौल और सुविधाएं बेहतर थीं, जबकि अब बच्चों को दूर मंदिर तक आना पड़ता है.

कक्षा एक से 8वीं तक के बच्चों को एक ही साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.

दिव्यांग छात्रों के लिए दोहरी परेशानी

अस्थायी व्यवस्था से दिव्यांग छात्रों के परिवारों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. आठवीं कक्षा के छात्र ललित, जो कि विशेष आवश्यकता वाले (स्पेशल) बच्चे हैं, उनकी दादी इंदिरा देवी बताती हैं, "हमारा घर पुराने स्कूल के पास था, अब मंदिर तक बच्चे को व्हीलचेयर पर लाने में बहुत दिक्कत होती है. रास्ता भी ठीक नहीं हैं, रोजाना उसे यहां तक लाना बहुत थकाने वाला काम है." इस स्थिति ने ना केवल ललित बल्कि कई अन्य छात्रों के अभिभावकों को भी परेशानी में डाल दिया है.

बच्चों की दिनचर्या बदली

सुबह 10 बजे जैसे ही स्कूल का समय होता है, स्कूल स्टाफ मंदिर पहुंचता है. सबसे पहले बच्चों को स्कूल के स्टील बॉक्स की चाबी दी जाती है. बच्चे मिलकर ताला खोलते हैं, फिर बक्से में रखी दरियों को निकालकर मंदिर के हाल में बिछाते हैं. कुछ बच्चे टेबल-कुर्सी लगाते हैं, कुछ ब्लैकबोर्ड दीवार के सहारे खड़ा करते हैं, और फिर सभी बच्चे एक स्वर में प्रार्थना करते हुए पढ़ाई करते हैं. इस दृश्य में भले ही संसाधनों की कमी हो, लेकिन बच्चों की जिज्ञासा और पढ़ने का उत्साह मंदिर की दीवारों को भी शिक्षा की गूंज से भर देता है.

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ब्लैकबोर्ड पर बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका.

सुरक्षा पहले, स्कूल की मरम्मत जारी

विद्यालय की कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुनीता सिंगोदिया ने बताया कि उन्हें शिक्षा विभाग और प्रशासन से लिखित निर्देश मिले हैं कि विद्यालय भवन में मरम्मत कार्य पूरा होने तक बच्चों को अस्थायी रूप से मंदिर परिसर में पढ़ाया जाए. पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट में स्कूल को आंशिक रूप से जर्जर बताया गया है. प्रधानाध्यापक के अनुसार, “जैसे ही मरम्मत पूरी होगी, बच्चों को फिर से स्कूल भवन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा ” प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लिया गया है.

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