Rajasthan: कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह बोले राज्यपाल, 'प्राकृतिक खेती और देसी नस्ल के बीजों से करें धरती का संरक्षण'

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने पर भी जोर दिया जिनसे युवा रोजगार ढूंढने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें. मिश्र ने कहा कि वैदिक काल, ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रन्थों से हमें व्यवस्थित ढंग से कृषि और पशुपालन के प्रमाण निरंतर मिलते रहे हैं. इससे पता चलता है कि तब खेती कितनी अधिक व्यावहारिक और वैज्ञानिक थी.

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Jodhpur News: राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र शनिवार को दो दिवसीय जोधपुर दौरे पर रहे. जहां उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में शिरकत की. राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व का अग्रणी देश बनने की और अग्रसर है और इसमें कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कृषि क्षेत्र से जुड़े युवाओं को पूरी सकारात्मक ऊर्जा के साथ देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है.

'छात्राओं का बढ़ना निश्चित ही देश और समाज के लिए शुभ संकेत'

उन्होंने कहा कि, दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं अपितु यह नवजीवन की शुरुआत है. पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की अधिकता होने पर उन्होंने कहा कि ऐसे तो महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है, किंतु कृषि क्षेत्र में छात्राओं का बढ़ना निश्चित ही देश और समाज के लिए शुभ संकेत है. उन्होंने छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालय में जो ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया है उसे किसानों तक पहुंचाना उनका प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए.

'रोजगार ढूंढने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले बनें'

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने पर भी जोर दिया जिनसे युवा रोजगार ढूंढने वाले नहीं बल्कि रोजगार देने वाले बनें. मिश्र ने कहा कि वैदिक काल, ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रन्थों से हमें व्यवस्थित ढंग से कृषि और पशुपालन के प्रमाण निरंतर मिलते रहे हैं. इससे पता चलता है कि तब खेती कितनी अधिक व्यावहारिक और वैज्ञानिक थी.

'खेती समग्र रूप में देश के लिए लाभकारी हो'

उन्होंने कहा कि, व्यावसायिकरण और अधिक उत्पादन की लालसा ने कृषि क्षेत्र को सभी दृष्टि से अलाभकारी बना दिया है. उन्होंने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है. हम एक ऐसी रणनीति विकसित करें. जिससे खेती समग्र रूप में देश के लिए लाभकारी हो. साथ ही कृषि शिक्षा में पारम्परिक कृषि से आधुनिक तकनीक की शिक्षा पर ध्यान देते हुए कार्य किया जाए.

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