Rajasthan News: किरोड़ी लाल मीणा ने 4 जुलाई को राजस्थान सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा (Kirodi Lal Meena Resignation) देने का ऐलान किया था. आज इस बात को 47 दिन पूरे हो गए हैं. मगर, अभी तक भाजपा नेता का इस्तीफा न तो मंजूर हुआ है, और ना ही उसे अस्वीकारा गया है. 4 दिल्ली दौरों के बाद भी इस पर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) की असमंजस को दूरे करने के लिए एक तरीका बताया है, जिससे फैसला लेना आसान हो सकता है.
'आज CM एक मंत्री का फैसला नहीं कर पा रहे'
कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए डोटासरा ने कहा, 'मुख्यमंत्री को एक घड़े में 2 पर्ची डालकर फैसला करना चाहिए. एक पर्ची में लिखा हो ''इस्तीफा स्वीकार'' और दूसरी पर्ची ''इस्तीफा अस्वीकार'' की हो. फिर किसी से भी एक पर्ची निकलवा लें. जो पर्ची निकले, वह फैसला ले लिया जाए. अगर स्वीकार की पर्ची निकले तो स्वीकार. वहीं अगर अस्वीकार की पर्ची निकले तो वो मंत्री वाला काम करें.' डोटासरा ने आगे तंज कसते हुए कहा, 'आज प्रदेश का मुखिया एक मंत्री के बारे में ''हां'' या ''ना'' में फैसला नहीं कर पा रहा है. अगर वो फैसला नहीं करेंगे तो कौन करेगा? इसीलिए मैं कहता हूं कि यह पर्ची सरकार है.'
'मेरी बात नहीं रखी इसी मंत्री पद छोड़ा'
पहले किरोड़ी लाल मीणा ने अपने इस्तीफे का कारण जनता से किए उस वादे को बताया था, जिसमें उन्होंने 7 लोकसभा सीट पर बीजेपी को जीत दिलाने को लेकर किया था. मगर, 9 अगस्त को किरोड़ी लाल मीणा ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए अपने इस्तीफे की असली वजह बताई. उन्होंने कहा, 'मैं 45 साल से सेवा कर रहा हूं. लेकिन राजस्थान की भजनलाल सरकार ने मेरी बात को नहीं रखा. इसलिए मैंने भी मंत्री पद को भी ठोकर मार दी.' इसके बाद से राजस्थान की सियासत गरमा गई और किरोड़ी लाल को दिल्ली बुलाया गया. तब लग रहा था कि शायद मीणा के इस्तीफे पर फैसला हो जाएगा. मगर, ऐसा नहीं हआ, और इस्तीफे पर सस्पेंस अभी भी जारी है.
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